Friday, September 3, 2010

ईश्वर की किसी भी भूमिका की संभावना खारिज.......स्टीफन हॉकिंग


लंदन...........

दुनिया के सबसे बड़े वैज्ञानिकों में गिने जाने वाले स्टीफन हॉकिंग ने कहा है कि इस दुनिया को बनाने वाला कोई भगवान नहीं है। यह दुनिया भौतिकी के नियमों के मुताबिक अस्तित्व में आई। उनके मुताबिक बिंग बैंग गुरुत्वाकर्षण के नियमों का ही नतीजा था। स्टीफन हॉकिंग ने अपनी नई किताब में ये बातें कही हैं। गौरतलब है कि स्टीफन हॉकिंग ने 1988 में छपी अपनी बहुचर्चित किताब 'ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम' में कहा था कि ईश्वर का अस्तित्व अनिवार्य तौर पर विज्ञान का विरोधी नहीं है। दुनिया के बनने में ईश्वर की भूमिका को परोक्ष रूप से स्वीकार करते हुए उन्होंने उस पुस्तक में कहा था, 'अगर हम संपूर्ण थियरी खोज सकें तो वह मानवीय तर्क की सबसे बड़ी जीत होगी। तभी हम ईश्वर का दिमाग समझ पाएंगे।' अपनी नई किताब 'द ग्रैंड डिजाइन' में उन्होंने ईश्वर की किसी भी भूमिका की संभावना खारिज करते हुए कहा कि ब्रह्मांड का निर्माण शून्य से भी हो सकता है। हॉकिंग की इस नई किताब धारावाहिक रूप में लंदन के 'द टाइम्स' में छप रही है। स्टीफन हॉकिंग मौजूदा दौर के सबसे बड़े वैज्ञानिकों में माने जाते हैं। एक बीमारी से पीड़ित होने की वजह से हॉकिंग खुद चल-फिर या बोल-सुन भी नहीं सकते। फिर भी, अपनी इच्छाशक्ति और संकल्प की बदौलत उन्होंने न केवल अपनी पढ़ाई और रिसर्च जारी रखी बल्कि विज्ञान की सीमाओं को भी विस्तारित किया। इस नई किताब में अपनी पुरानी धारणा से आगे बढ़ते हुए हॉकिंग ने न्यूटन के इस सिद्धांत को गलत बताया है कि बेतरतीब अव्यवस्था से ब्रह्मांड का निर्माण नहीं हो सकता। अपने इस मत की पुष्टि के लिए हॉकिंस ने 1992 में हुई उस खोज का हवाला दिया है, जिसमें हमारे सौरमंडल से बाहर एक तारे के चारों ओर घूमते ग्रह के बारे में पता चला था। हॉकिंग ने इस खोज को ब्रह्मांड की समझ में बदलाव लाने वाला क्रांतिकारी मोड़ बताया है।

Friday, August 13, 2010

‘पीपली लाइव’ का आइडिया तब आया


आमिर खान की फिल्म ‘पीपली लाइव’ कैसी है, इसके कॉन्‍सेप्‍ट से लेकर पर्दे पर आने तक की कहानी।फिल्म की डायरेक्टर अनुषा रिज़वी को करीब छह साल पहले किसानों की हालत पर एक फिल्म बनाने का आइडिया तब आया जब 2004 में सरकार ने कुछ किसानों को फसल बर्बाद होने पर मुआवजा दिया था। अनुषा के दिमाग में ‘पीपली लाइव’ की धुंधली तस्वीरें तभी बनने लगी थीं। किसानों के गरीबी से तंग आकर आत्महत्या की खबरें अनुषा की कहानी का आधार बनीं। फिल्म की सिनॉप्सिस और आइडिया तैयार करने के बाद अनुषा ने फिल्म पर पैसा लगाने के लिए प्रोड्यूसरों की तलाश शुरू की। यह तलाश इतनी आसान नहीं थी। लेकिन अनुषा ने आमिर खान का ईमेल तलाशकर उन्हें फिल्म का शुरुआती आइडिया ईमेल किया। सब्जेक्ट लाइन में उन्होंने लिखा ‘द फॉलिंग’ दरअसल, अनुषा ने तब फिल्म का नाम यही सोचा था। शुरू में पीपली लाइव लगी थी मजाक!आमिर खान को यह ईमेल द राइजिंग मंगल पांडे की शूटिंग के दौरान मिला। बकौल आमिर उन्हें ईमेल का सब्जेक्ट ‘द फॉलिंग’ थोड़ा दिलचस्प लगा। लेकिन ईमेल पढ़ने पर उन्हें लगा कि उनके साथ किसी ने मजाक किया है और आमिर खान ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। शुरुआती नाकामी के बावजूद अनुषा ने आमिर को कई ईमेल किए। आमिर को जब पता चला कि अनुषा एक पत्रकार हैं और एनडीटीवी से जुड़ी हुई हैं, तो उन्होंने अनुषा को गंभीरता से लेना शुरू किया। आमिर कहते हैं, ‘ मुझे फिल्म की कहानी काफी फनी, तेज़ गति वाली और संवेदनशील लगी।’ फिल्म की कहानी पर कामआमिर ने अनुषा से फिल्म की कहानी पर और काम करने और स्क्रिप्ट तैयार करने को कहा। अनुषा ने करीब दस महीने की मेहनत के बाद फिल्म की कहानी अपने पति महमूद फारुकी के साथ मिलकर लिख डाली। राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्म ‘रंग दे बसंती’ की शूटिंग के दौरान जब आमिर खान दिल्ली आए तो उन्होंने अनुषा को फिल्म की कहानी और स्क्रिप्ट सुनाने के लिए बुलाया। अनुषा ने फिल्म की कहानी आमिर खान को सुनाई। कहानी आमिर खान को बहुत पसंद आई। बॉलीवुड के ‘मिस्टर परफेक्नशिस्ट’ माने जाने वाले आमिर खाने के मुताबिक फिल्म में पैसा लगाने से पहले उन्होंने अनुषा को कुछ सीन शूट करने के लिए कहा। फिर आमिर ने कुछ सीन शूट कर दिखाने को कहा। अनुषा ने मुंबई में यह शूटिंग कर डीवीडी आमिर को भेजी। आमिर खान के मुताबिक उन्हें लगा कि काग़ज़ पर लिखी गई कहानी में जो भाव हैं, वही कैमरे पर भी आए हैं। उन्होंने अनुषा को फिल्म बनाने के ग्रीन सिग्नल दे दिया। किरदारों का चयन और नत्था बनते-बनते रह गए आमिरअनुषा के सामने अगली चुनौती थी फिल्म के किरदारों का चयन। अनुषा चाहती थीं कि आमिर खान फिल्म के मुख्य नायक नत्था का रोल करें। लेकिन आमिर अपनी फिल्मों- ‘गजनी’ और ‘थ्री इडियट्स’ को लेकर काफी व्यस्त थे। ऐसे में तारीखों की समस्या के चलते नत्था के रोल के लिए किसी और की तलाश शुरू हुई। नत्था के चुनाव के लिए भोपाल में स्क्रीन टेस्ट लिया गया और वहीं पीपली लाइव के नत्था यानी ओंकारदास मानिकपुरी को फिल्म के लीड रोल के लिए चुना गया। ओंकार दस सालों से थिएटर से जुड़े हुए हैं। गौरतलब है कि रघुबीर यादव और नसीरूद्दीन शाह के अलावा इस फिल्म में काम कर रहे ज़्यादातर लोगों के लिए यह पहली फिल्म है। फिल्म की डायरेक्टर अनुषा रिज़वी, फिल्म में संगीत देने वाले म्यूजिक बैंड 'इंडियन ओशन' के अलावा फिल्म के ज्यादातर किरदारों के लिए रुपहले पर्दे का यह पहला तजुर्बा है। शूटिंग इस फिल्म की ज़्यादातर शूटिंग मध्य प्रदेश और गुजरात में हुई है। मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के बड़वई में फिल्म की काफी शूटिंग हुई है। इस फिल्म की शूटिंग करीब 64 दिनों में पूरी हो गई थी। चूंकि, फिल्म में स्टार नहीं थे, इसलिए तारीखों की बहुत समस्या नहीं थी। यही वजह है कि शूटिंग में कम समय लगा, जिसका सीधा असर फिल्म के बजट पर पड़ा। बिना मेकअप के बनी फिल्म!फिल्म की डायरेक्टर अनुषा के दिमाग में शूटिंग के दौरान यह बात साफ थी कि उन्हें फिल्म को वास्तविक ज़िंदगी से जोड़ना है ताकि फिल्म आम लोगों से पूरी तरह से जुड़ी हुई लगे। यही वजह है कि मध्य प्रदेश के बड़वई में शूटिंग के दौरान अनुषा ने गांववालों को अपनी फिल्म का हिस्सा बनाया। फिल्म में गांव की रोजमर्रा की ज़िंदगी को भी शूट किया गया है। अनुषा ने फिल्म में किसी एक्स्ट्रा का सहारा नहीं लिया है। उनकी जगह गांवावालों को लिया गया ताकि फिल्म वास्तविक लगे। यही वजह है कि इस फिल्म में कई किरदार आपको बिना किसी मेकअप या तैयारी के दिखेंगे। अनुषा ने बड़वाई गांव में चल रहे स्कूल को भी शूट किया गया। फिल्म से जुड़े लोगों के मुताबिक अगर शूटिंग के दौरान कोई बकरी भी कैमरे के सामने से गुजरती थी तो अनुषा उस सीन को कट नहीं करती थीं और उसे भी फिल्म का हिस्सा बनाया। इससे अनुषा को वास्तविक फिल्म बनाने में मदद मिली। महंगाई डायन खाए जात...इस फिल्म के मशहूर हो चुके गाने महंगाई डायन खाए जात... की कहानी भी दिलचस्प है। दरअसल, आमिर खान के मुताबिक, ‘यह गाना फिल्म की कहानी का शुरुआती हिस्सा नहीं था। लेकिन बड़वई में शूटिंग के दौरान उन्होंने एक स्थानीय मंडली को यह गाना गाते हुए सुना और उन्हें यह बहुत पसंद आया। अनुषा ने गाने को शूट कर लिया। उस समय अनुषा को यह आइडिया नहीं था कि यह गाना फिल्म में कहां फिट होगा, लेकन एडिटिंग के दौरान यह गाना फिल्म में अच्छी तरह से फिट हो गया।’ यह गाना मध्य प्रदेश में लोकगीत के रूप में काफी लंबे समय से गाया जा रहा है। फिल्म में गाना गाने वाली मंडली असली गायकों की मंडली है, जिन्हें आमिर खान ने मुंबई बुलाकर करीब 11 लाख रुपये बतौर मेहनताना दिया था। आमिर खान के मुताबिक जब वह फिल्म का म्यूजिक लॉन्च कर रहे थे, उसी समय महंगाई एक बड़ा मुद्दा थी। महंगाई के मुद्दे पर इस गाने को विपक्षी पार्टियां कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहती थीं, लेकिन आमिर खान ने गाने के अधिकार देने से मना कर दिया। फिल्म का बजटमहंगे लोकेशन, बड़े सितारों और तामझाम के बिना बनी पीपली लाइव का कुल बजट करीब 10 करोड़ रुपये है। यह फिल्म देश भर में करीब 600 सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। पहले इसे 150 सिनेमाघरों में रिलीज करने की योजना थी। लेकिन आमिर खान के मुताबिक छोटे शहरों से भी फिल्म को रिलीज करने की मांग आई तो उन्होंने इसे 600 सिनेमाघरों में रिलीज करने का फैसला किया। फिल्म के टीवी राइट्स ही कलर्स चैनल ने करीब दस करोड़ में खरीद लिए हैं। फिल्म ने रिलीज से पहले ही अपना खर्चा निकाल लिया है।

Thursday, May 6, 2010

राष्ट्रगान में सदियों तक गूंजते रहेंगे टैगोर



कल सात मई को है रवींद्रनाथ टैगोर के जन्मदिवस।
नोबेल पुरस्कार प्राप्त कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने साहित्य, शिक्षा, संगीत, कला, रंगमंच और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अनूठी प्रतिभा का परिचय दिया तथा आलोचकों की दृष्टि में अपने मानवतावादी दृष्टिकोण के कारण वह सही मायनों में विश्वकवि थे।
टैगोर दुनिया के संभवत: एकमात्र ऐसे कवि हैं जिनकी रचनाओं को दो देशों ने अपना राष्ट्र गान बनाया। बचपन से कुशाग्र बुद्धि के रवींद्रनाथ ने देश और विदेशी साहित्य, दर्शन, संस्कृति आदि को अपने अंदर समाहित कर लिया था और वह मानवता को विशेष महत्व देते थे। इसकी झलक उनकी रचनाओं में भी स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होती है।
साहित्य के क्षेत्र में उन्होंने अपूर्व योगदान दिया और उनकी रचना ै गीतांजलि ै के लिए उन्हें साहित्य के नोबल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। साहित्य अकादमी के अध्यक्ष सुनील गंगोपाध्याय ने भाषा को बताया कि गुरुदेव सही मायनों में विश्वकवि होने की पूरी योग्यता रखते हैं। उनके काव्य के मानवतावाद ने उन्हें दुनिया भर में पहचान दिलायी। दुनिया की तमाम भाषाओं में आज भी टैगोर की रचनाओं को पसंद किया जाता है। गंगोपाध्याय ने कहा कि टैगोर की रचनाएं बांग्ला साहित्य में एक नयी बहार लेकर आयी। उन्होंने एक दर्जन से अधिक उपन्यास लिखे। इन रचनाओं में चोखेर बाली, घरे बाहिरे, गोरा आदि शामिल हैं। उनके उपन्यासों में मध्यम वर्गीय समाज विशेष रूप से उभर कर सामने आया है।

Tuesday, May 4, 2010

संसद में आने वाला है एक और बड़ा तूफान!! (sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से साभार)

दिनोदिन ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस भ्रष्टाचार केआरोपों से घिरती जा रही है। पार्टी के सांसद एवं केंद्रीयमंत्री पर लगा भ्रष्टाचार का ताजा मामला आने वाले दिनों मेंसंसद में तूफान मचा सकता है। अभी शशि थरूर को हटानापड़ा, अभी .राजा को लेकर सोमवार को दोनों सदन कीकार्यवाहियां स्थगित करनी पड़ीं, तब तक एक और मंत्रीका कारनामा सुर्खियों में गया गया है। विपक्ष के लिए येनया हथियार लगा है, जिसे वह संप्रग पर प्रहार करने से शायद ही चूके। ताजा आरोप ने पार्टी के भीतर पसरते भ्रष्टक्रिया-कलापों का एक और अध्याय खोल दिया है। बताया जा रहा है कि पार्टी के एक सांसद का बांग्लादेश के किसीहथियारों के सौदागर से संबंध उजागर हो चले हैं। अपने सांसद के संबंध होने के आरोपों से घिरी तृणमूल कांग्रेस नेकहा है कि माकपा कोलकाता के निकाय चुनावों को देखते हुए उनकी पार्टी की छवि खराब करने में लगी हुई है।लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक सुदीप बंदोपाध्याय ने रिपोर्ट को मनगढ़ंत बताते हुए कहा है कि माकपाराजनीतिक तौर पर कंगाल हो चुकी है। कोलकाता निकाय चुनावों को देखते हुए नई रिपोर्ट के आधार पर वहविवाद फैला कर तृणमूल की छवि को खराब करना चाहती हैं। पार्टी का कोई नेता इस तरह की अवैधानिकगतिविधियों में लिप्त नहीं है। इन खबरों को बेबुनियाद बताते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली के एक अखबार मेंतृणमूल कोटे के केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री शिशिर अधिकारी नाम सामने आया है, जिस पर वह मानहानिका दावा करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। चर्चाएं हैं कि आईपीएल और फोन टैपिंग मामले मेंपहले ही विपक्ष से घिर कर पराजय झेल चुकी संप्रग सरकार के लिए ये मामला अब तक की सबसे शर्मनाकचुनौती बन सकता है। अखबार ने दावा किया है कि शिशिर ने हथियार खरीदने के लिए पार्टी के एक कार्यकर्ता कोलाख रुपए देने की बात मान ली है। अखबार ने अधिकारी के हवाले से कहा है कि हथियारों की खरीद पश्चिमबंगाल के मिदनापुर जिले में माकपा कैडर से निपटने के लिए की गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, ‘बांग्लादेशी हथियारविक्रेता ने शिशिर अधिकारी को फोन कर यह भी कहा था कि उसे हथियारों की पूरी रकम नहीं मिली।बाद मेंअधिकारी को पता चला कि इन हथियारों का इस्तेमाल पूर्वी मिदनापुर में एक कोऑपरेटिव बैंक की डकैती में कियागया था। इस बीच वामदलों ने इस मुद्दे पर तृणमूल को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है। पता चला है कि पार्टी गृहमंत्रालय से या संयुक्त संसदीय समिति के मार्फत इस मामले की जांच के आदेश देने की मांग करने वाली है। संप्रगकी दुविधा ये होगी कि यदि वह दागी मंत्री के खिलाफ कार्रवाई करती है तो तृणमूल से रिश्ते बिगड़ सकते हैं औरनहीं करती है तो विपक्ष उसके खिलाफ भ्रष्टाचार का एक और डंका पीटने के लिए कमर कस सकता है। उधर, शिशिर ने ऐसी किसी सौदेबाजी से इनकार करते हुए चेतावनी दी है कि वह खबर छापने वाले अखबार के खिलाफकानूनी सहारा ले सकते हैं।
शिशिर प्रकरण के अलावा भी तृणमूल भ्रष्टाचार के आरोपों से हाल ही में कई मर्तबा और लांक्षित हो चुकी है। औरकोई नहीं, बल्कि पार्टी के ही सांसद और लोकप्रिय गायक कबीर सुमन अपनी ही पार्टी पर भ्रष्टाचार में लिप्त होनेऔर क़त्ल कराने जैसे गंभीर आरोप लगा चुके हैं। दो महीने पहले मार्च में उन्होंने ये आरोप एक बंगाली टेलीविज़नचैनल के साथ बातचीत के दौरान लगाए थे। रेल मंत्री ममता बनर्जी ने उस समय सुमन के आरोपों पर खामोशीसाध ली थी। कबीर सुमन ने टेलीविज़न पर कहा था कि "मार्क्सवादियों पर हम जो आरोप लगाते हैं, तृणमूलकांग्रेस भी वही सब करती है। पंचायत स्तर पर मेरी पार्टी में व्यापक भ्रष्टाचार है जिसकी रिपोर्ट मुझे लगातारमिलती रहती है। वहां रिश्वत के बिना कुछ नहीं हो सकता। मार्क्सवादियों ने लंबे समय तक लोगों को मारा है, वहीसब मेरी पार्टी तृणमूल कांग्रेस कर रही है। कबीर सुमन ने इससे पहले माओवादियों के ख़िलाफ़ ऑपरेशन ग्रीनहंटकी सख़्त आलोचना की थी, जिससे ममता बनर्जी को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी। उसके बाद उन्होंने एक सीडीकॉंपैक्ट डिस्क) जारी की थी जिसमें माओवादी समर्थक नेता छत्रधर महतो की तारीफ़ वाले गाने थे। महतो इससमय जेल में बंद हैं। सुमन ने सकार और माओवादियों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने की भी पहल की थी, जिसके बाद ममता बनर्जी ने कबीर सुमन से किनारा करते हुए उन्हें पार्टी में मेहमान बताया था, लेकिन बाद मेंमाना जाता है कि लेखिका महाश्वेता देवी ने ममता बनर्जी और कबीर सुमन के बीच सुलह करवाई थी। सुमन तोसंसद से इस्तीफा देने तक का ऐलान कर चुके थे पर महाश्वेता के कहने पर मान गए थे। इसके अलावा सुमन नेएक और विवाद को हवा दी जब उन्होंने कहा कि जिन बुद्धिजीवियों ने सिंगूर और नंदीग्राम में पार्टी का साथ दियाथा वो अब पार्टी से मुहं मोड़ सकते है क्योकि "पार्टी जनता से दूर होती जा रही है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है।"
1.20 (

Monday, May 3, 2010

महिलाओं को ज्यादा याद रहते हैं रास्ते



महिलाओं को सड़क के नक्शे को समझने में भले ही पुरूषों के मुकाबले ज्यादा जूझना पड़ता हो लेकिन एक नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को रास्ते ज्यादा याद रहते हैं। ब्रिटेन के अखबार ‘द डेली टेलीग्राफ’ के अनुसार नेशनल ऑटोनॉमस यूनिवर्सिटी आफ मेक्सिको के शोधकताओं ने अपने अध्ययन में पाया है कि पुरुष भले ही नए नए स्थानों का पता लगाने में बेहतर साबित हों लेकिन महिलाएं एक बार जिस रास्ते पर चल चुकी होती हैं वे उन्हें ज्यादा याद रहते हैं। अध्ययन के अनुसार पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को किसी रास्ते के ‘विषेष स्थान’ की समझ ज्यादा होती है और ऐसे में उस रास्ते को पहचानने को लेकर उन्हें मशक्कत नहीं करनी पड़ती । महिलाओं में यह गुण मानव स5यता की शुरुआत से ही रहा है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि शुरूआती काल में जहां पुरुष में आहार के लिए शिकार ढूंढने की अच्छी समझ मिली वहीं महिलाएं उन जगहों को ज्यादा अच्छे से याद रख पाईं जहां से वे पहले फल या कंदमूल आदि प्राप्त करती थीं।

Friday, April 23, 2010

51 सांसदों को मीरा कुमार की गंभीर चेतावनी.....वरना चली जाएगी सांसदी


sansadji.com

निजी संपत्ति मामला

लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने एक गंभीर चेतावनी देते हुए कहा है कि कुछ केन्द्रीय मंत्रियों समेत 51 सांसद अपनी संपत्तियों का खुलासा कर दें, वरना इस मामले में विशेषाधिकार हनन की कार्यवाही हुई तो उन्हें अपनी सदस्यता तक गँवानी पड़ सकती है। लोकसभा सचिवालय के छह रिमाइंडरों और नौ लोकसभा बुलेटिनों में सांसदों से यह औपचारिकता पूरी करने का आग्रह किया जा चुका है। इसके बावजूद ब्योरा नहीं दिया गया है। अपनी संपत्तियों और देनदारियों का ब्योरा नहीं देने वालों में राजद प्रमुख लालू प्रसाद, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, भाजपा के पूर्व नेता कल्याणसिंह, तृणमूल कांग्रेस के तापस पाल, दिग्विजयसिंह (निर्दलीय सदस्य) और कांग्रेस सदस्य दीपेंदरसिंह हुड्डा, राव इंदरजीतसिंह, अवतारसिंह भड़ाना और संजयसिंह शामिल हैं। मीरा कुमार ने अब राजनीतिक दलों के नेताओं से आग्रह किया है कि वे अपने सदस्यों से इस प्रक्रिया को तेज करने को कहें। केंद्रीय मंत्री और नेताओं सहित 51 सांसदों ने अब तक अपनी संपत्तियों और देनदारियों के बारे में दस्तावेज मीरा कुमार को नहीं सौंपे हैं। जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 75-ए (5) के तहत किसी भी सदस्य के लोकसभा नियमों का जानबूझकर उल्लंघन करने के मामले से उसी तर्ज पर निपटा जा सकता है, जिस तरह सदन के विशेषाधिकार हनन से निपटा जाता है। विशेषाधिकार के हनन पर सदन की सदस्यता तक जा सकती है। हमने पार्टी के नेताओं से कहा है कि वे इस प्रक्रिया को तेज करने का अपने सदस्यों से आग्रह कर सहयोग करें। मीरा ने राजनीतिक दलों के नेताओं को लिखे पत्र में कहा है कि सांसदों को सदन की सदस्यता की शपथ लेने के 90 दिन के भीतर यह जानकारी सौंपना जरूरी है। नब्बे दिन की अवधि के अगस्त-सितंबर 2009 में ही खत्म हो जाने के तथ्य के बावजूद आपके दलों के कुछ सदस्यों की ओर से अब भी यह जानकारी मिलने का इंतजार है।