Monday, January 18, 2010
न अमर, न रामगोपाल, कीमत चुकाएगी सपा और मुलायम
19 के प्रदर्शन पर दिखेगी छायाः दो बड़ों की लड़ाई ने समाजवादी पार्टी की राह मुश्किल कर दी है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि 19 जनवरी को उत्तर प्रदेश में पार्टी के आंदोलन पर भी इसकी साफ छाया देखी जा सकती है। जहां तक बात साफ है कि न तो अमर सिंह, न ही रामगोपाल यादव जनता के बीच के नेता रहे हैं। दोनों ही को धरतीपुत्र मुलायम सिंह की मेहनत का राजनीतिक लाभ और यश मिला। यदि दोनों की कोशिश से सपा इतनी बड़ी पार्टी बनी होती तो निश्चित ही दोनों के दिल में इस बेवजह की तूतू-मैंमैं का मलाल होता। जो किसान फसल बोता है, अन्न घर में पहुंचने तक वह हर तरह के मानवीय और प्राकृतिक आपदाओं का चुपचाप सामना करता है। जिसने फसल बोई नहीं, वह क्या जाने मुलायम सिंह के दिल का दर्द। पार्टी की इस संकट की घड़ी में न तो अमर सिंह, न ही रामगोपाल यादव ने मुलायम सिंह यादव के उस त्याग और तपस्या की लाज रखी है। दोनों अपनी-अपनी नाक ताने सपा की फजीहत करते रहे। आखिरकार मुलायम सिंह यादव को पार्टी और परिवार दोनों की खातिर अमर का इस्तीफा मंजूर करना पड़ा, लेकिन इसके साथ ही यह चुनौती भी साफ दिखने लगी है कि इस फालतू की लड़ाई से उत्तर प्रदेश में पार्टी की राह बहुत मुश्किल होने जा रही है। इसकी पहली नजीर 19 जनवरी के प्रदर्शन में देखी जा सकती है। 18 जनवरी को मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह दोनों अलग-अलग मीडिया से मुखातिब हुए। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे अमर सिंह प्रकरण को भुलाकर मायावती सरकार के ख़िलाफ़ जनसंघर्ष के लिए सड़कों पर उतरें. समाजवादी पार्टी ने मंगलवार 19 जनवरी को राज्यव्यापी संघर्ष का ऐलान किया है. मुलायम सिंह स्वयं लखनऊ में रहकर प्रदर्शन और संघर्ष की अगुआई करेंगे. मुलायम सिंह यादव ने अमर सिंह का इस्तीफ़ा स्वीकार करने के बाद पहली बार राजधानी लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस की, लेकिन वे अमर सिंह से संबंधित सभी सवाल टाल गए. मुलायम सिंह ने कहा, "मैं पीछे नही देखता. जो हो गया उसे पीछे छोड़कर आगे की बात करो. आगे संघर्ष में जाना है. जनता के दुख दर्द में संघर्ष नहीं करेंगे तो जनता माफ़ नही करेगी.'' पत्रकारों ने अमर सिंह के मामले पर लगातार कई सवाल किए, लेकिन वे जैसे तय करके आए थे कि कुछ नही बोलना है. मैं पीछे नही देखता. जो हो गया उसे पीछे छोड़कर आगे की बात करो. आगे संघर्ष में जाना है. जनता के दुख दर्द में संघर्ष नहीं करेंगे तो जनता माफ़ नही करेगी. एक पत्रकार ने फिर पूछा क्या अब पार्टी में केवल शुद्ध समाजवादी रहेंगे न कि बहुरूपिए, तो वे तल्ख़ होकर बोले, "समाजवाद किसी की बपौती नहीं है. डॉक्टर लोहिया, नरेंद्र देव, कर्पूरी ठाकुर और राजनारायण नहीं रहे तो भी समाजवाद आगे बढ़ रहा है."मुलायम यह सवाल भी टाल गए कि क्या आज़म ख़ान दोबारा पार्टी में आएँगे.बाद में आज़म ख़ान ने शर्त रखी कि वह पार्टी में तभी वापस आएँगे, जब वे लोग यानी मुस्लिम समुदाय उन्हें माफ़ कर देगा, जिन्होंने अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के साथ विश्वासघात किया है. उधर अमर सिंह ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस करके साफ़ कर दिया है कि वह चुप नहीं बैठेंगे बल्कि सीधे जनता के बीच जाएँगे. अमर सिंह ने कहा कि वह समाजवादी पार्टी के साधारण सदस्य के रूप अपनी बात अब खुलकर कहेंगे. समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के बँटवारे के ख़िलाफ़ है, लेकिन अमर सिंह ने कहा कि वह अलग पूर्वांचल, बुंदेलखंड और हरित प्रदेश राज्यों की मांग का समर्थन करेंगे.उन्होंने कहा कि उनका स्वास्थ्य ठीक रहा तो पूर्वांचल के लिए तेलंगाना नेता चंद्रशेखर राव की तरह आंदोलन भी करेंगे.अमर सिंह ने कहा कि वे पूर्वांचल में पिछड़े वर्ग और मथुरा में क्षत्रिय समाज का सम्मलेन करेंगे.
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