Tuesday, March 31, 2009

एचटी मीडिया में पहाड़ी लालटेन

किस्सा हिंदुस्तान अखबार की पहाड़ी चौकड़ी का.
मंगलेश डबराल का एक पुराना रचना संग्रह है...पहाड़ पर लालटेन. मिले तो पढ़ लीजिएगा. अच्छी किताब है.
एक अन्य कवि ने लिखा है...
पहाड़ पर कभी बाढ़ नहीं
जहां पहुंचकर
आदमी केंचुल छोड़ता है
और देवता बन जाता है.

....तो देवियों, सज्जनों इसी तरह के देवी-देवता आजकल हिंदुस्तान हिंदी दैनिक के मंदिर में वास कर रहे हैं. सारे के सारे पहाड़ी केंचुल छोड़ कर देवता हो चुकी हैं. शिवानी की महान सुपुत्री मृणाल पांडे के तो कहने ही क्या. बहुत बड़ी विदुषी हैं. सारी विद्वता शोभना भरतिया के पायताने चपराती रहती है.
....प्रमोद जोशी बहुत महान पत्रकार हैं. ऐसा पुरुषवादी दंभी कभी खोजे न मिले. अपने ऑफिस की महिलाओं को धक्का मारता है. उस मंडली के बीच दुःशासन की तरह, जो बड़ी अच्छी-अच्छी कविताएं और लेख लिखती है. लेखन पर लंबी-लंबी डींगे मारती है.
....अरे डूब मरो जी, तुम सब लोग, जो महिलाओं पर मर्दानगी दिखाने वाले ऐसे अराजक तत्व को अपने सिरहाने बिठाए हुए हो. देखते-सोचते क्या हो, धर दौड़ाओ पूंजी के दलाल पत्रकार शिरोमणियों को. ऐसा सबक सिखाओ कि अक्ल ठिकाने आ जाए.....पत्रकार एकता जिंदाबाद!!


...........और ये लो पढ़ो जोज्जोज्जोश्श्शी का कारनामा....हाल ही का है, अभी बसियाया नहीं है-




1...............
दैनिक हिंदुस्तान, दिल्ली के वरिष्ठ स्थानीय संपादक प्रमोद जोशी के खिलाफ शैलबाला ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। शैलबाला ने प्रमोद जोशी पर शारीरिक दुर्व्यवहार करने और साजिश रचने का आरोप लगाया है। दिल्ली के बारह खंभा रोड पुलिस थाने में दर्ज कराई गई शिकायत में शैलबाला ने कहा है कि वे जब कल आफिस पहुंचीं तो प्रमोद जोशी ने उन्हें इस्तीफे के पत्र पर हस्ताक्षर करने को कहा। हस्ताक्षर करने के बाद जब अपना सामान लेने के लिए सीट की तरफ लौटने लगीं तो प्रमोद जोशी ने धक्का देकर और बांह पकड़कर बाहर जाने वाले रास्ते की ओर बढ़ने को कहा। शैलबाला के मुताबिक प्रमोद जोशी को यह कतई अधिकार नहीं है कि वे किसी स्त्री के शरीर को टच करें। उन्हें इसके लिए महिला गार्ड को बुलाना चाहिए था।यह घटना उस संस्थान में हुई जहां प्रमुख संपादक और चेयरपर्सन दोनों महिला हैं। शैलबाला ने कहा है कि इस अशोभनीय घटना के वक्त दर्जनों मीडियाकर्मी मौजूद थे। भड़ास4मीडिया से बातचीत में शैलबाला ने कहा कि वे कल से जब भी इस घटना के बारे में सोच रही हैं, आंख में आंसू आ जा रहे हैं। क्या हम लोगों की यही औकात है? 33 साल तक जिस ग्रुप के साथ जुड़ी रही, वहां से जाते वक्त अपनी सीट से सामान तक नहीं लेने दिया गया और धक्के देकर बाहर निकाला गया। आज के समय में आप अपने नौकर तक से धक्का देकर बात नहीं कर सकते। एक महिला पत्रकार के साथ ऐसी हरकत की तो कल्पना तक नहीं की जा सकती। शैलबाला का कहना है वे आत्मसम्मान की इस लड़ाई से किसी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगी। शैलबाला की तीन पेज की लिखित शिकायत पर पुलिस ने धारा 34, 120, 120बी के तहत मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।उधर, इस घटना की जानकारी मिलने पर कई पत्रकार संगठन भी सक्रिय हो गए हैं। पीआईबी जर्नलिस्टों के संगठन प्रेस एसोसिएशन के महासचिव राजीव रंजन नाग ने वरिष्ठ महिला पत्रकार के साथ घटी घटना को शर्मनाक बताया और आरोपी स्थानीय संपादक प्रमोद जोशी के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है। राजीव के मुताबिक शैलबाला बेहद निष्ठावान, ईमानदार और मेहनती जर्नलिस्ट रही हैं। उनके साथ प्रमोद जोशी ऐसा करेंगे, यह किसी को उम्मीद न थी। राजीव का कहना है कि लगता है हताशा के चलते प्रमोद जोशी अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं। राजीव ने बताया कि उनका संगठन इस मामले को महिला आयोग, महिला मंत्रालय, पुलिस कमिश्नर, गृह मंत्री आदि तक पहुंचाएगा। साथ ही एचटी ग्रुप की मुखिया शोभना भरतिया के संज्ञान में भी यह मामला लाया जाएगा।भड़ास4मीडिया ने दैनिक हिंदुस्तान, दिल्ली के वरिष्ठ स्थानीय संपादक प्रमोद जोशी से संपर्क किया तो उनका कहना था कि सारे आरोप बेबुनियाद और सरासर झूठ हैं। उन्होंने ऐसी किसी घटना में खुद के शामिल होने से इनकार किया।

2......................
शैलबाला द्वारा प्रमोद जोशी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने से पहले ही एचटी प्रबंधन ने बारहखंभा रोड थाने में एक लिखित अर्जी दायर कर प्रबंधन के लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराए जाने की आशंका जाहिर करते हुए पुलिस को आगाह कर दिया था। एचटी के सीनियर एक्जीक्यूटिव (लीगल) शुवन दास द्वारा थाने में दिए गए पत्र की एक प्रति भड़ास4मीडिया के पास भी है, जिसे नीचे हू-ब-हू प्रकाशित किया जा रहा है। पत्र में कहा गया है कि एचटी प्रबंधन प्रशासनिक आधार पर कुछ कर्मचारियों को संस्थान से बाहर कर रहा है। ऐसे कमर्चारियों की तरफ से प्रबंधन के लोगों के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराए जाने की आशंका है। पत्र में शैलबाला के नाम का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि इन्होंने प्रबंधन के कई लोगों को मुकदमें में फंसाने की धमकी दी है।पत्र के मुताबिक पुलिस एचटी मीडिया के प्रमोद जोशी, मृणाल पांडे, बासुकी नाथ, कनिका बिंद्रा समेत किसी भी कर्मचारी के खिलाफ झूठी रिपोर्ट न दर्ज करे। अगर पुलिस को किसी कर्मचारी की तरफ से कोई शिकायती पत्र मिलता है तो कोई भी कार्रवाई करने से पहले पुलिस पहले एचटी मीडिया को सूचित करे और दूसरे पक्ष का जवाब ले। 21 जनवरी को बारहखंभा रोड पुलिस थाने में रिसीव कराए गए इस पत्र में जो कुछ कहा गया है, वो इस प्रकार है-
HT Media Limited

Regd. Office : Hindustan Times House

18-20, Kasturba Gandhi Marg

New Delhi- 110001

Tel. : 66561234 Fax : 23704600

www.hindustantimes.com

To,

The Station Head Officer

P.S: Barakhamba Road

CP, New Delhi 110001

Sub: Intimation

Dear Sir,

We have to inform you that, we are termination the services of our few employees on certain administrative ground irrespective of particular gender. While handing over the termination letter to one such employee Ms. Shail Balla, who was associated with our editorial for Hindi Hindustan newspaper, she agitated and threatens to file false/frivolous criminal complaint for molestation and sexual harassment against the management and her immediate supervisor. Therefore as a precautionary measure we are filing this intimation for not registering any false / frivolous complaint against Mr. Pramod Joshi, Ms. Mrinal Pande, Mr. Basuki Nath and Ms. Kanika Bindra and / or against any officer / Employees of HT Media Ltd.
Therefore, if you receive any such complaint, request you to intimate us and take our reply before taking any action on such frivolous complaint.

Thanking Your

For HT Media Ltd.

(Shuvan Das)

Senior Executive-Legal

Date: 21/01/2009



3....................
दैनिक हिंदुस्तान, दिल्ली के वरिष्ठ स्थानीय संपादक प्रमोद जोशी द्वारा वरिष्ठ पत्रकार शैलबाला से दुर्व्यवहार किए जाने के मामले में नया मोड़ तब आ गया जब एचटी मीडिया और प्रमोद जोशी ने संयुक्त रूप से दिल्ली हाईकोर्ट में मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया। सूत्रों के अनुसार शैलबाला के अलावा जिन तीन लोगों को कोर्ट में आरोपी बनाया गया है, उनके नाम हैं- यशवंत सिंह (भड़ास4मीडिया), राजीव रंजन नाग (वरिष्ठ पत्रकार) और अनिल तिवारी (पूर्व एचटी कर्मी)। बताया जाता है कि मानहानि के एवज में एचटी ग्रुप और प्रमोद जोशी ने लाखों रुपये की मांग की है। भड़ास4मीडिया प्रतिनिधि ने प्रमोद जोशी से जब मुकदमे के बाबत फोन पर बात की तो उन्होंने शैलबाला, यशवंत, राजीव और अनिल पर मुकदमा किए जाने की बात को कुबूल किया और इसे संस्थान की रूटीन कार्यवाही का हिस्सा करार दिया।
एक संपादक द्वारा छंटनी के शिकार अपने मीडियाकर्मियों पर ही मुकदमा किए जाने के सवाल पर प्रमोद जोशी ने कहा कि अगर कोई खुद को पीड़ित महसूस करता है तो उसे कोर्ट जाने का अधिकार है और उन्होंने इसी अधिकार का उपयोग किया है। प्रमोद जोशी ने यह भी कहा कि वे एचटी ग्रुप के कर्मचारी हैं और ग्रुप ने कोर्ट में जाने का अगर फैसला किया है तो उन्हें इसके लिए सहमत होना ही पड़ेगा। श्री जोशी ने कहा कि उनकी छवि खराब करने के लिए उन्हें तरह-तरह से निशाना बनाया जा रहा है और उनके खिलाफ तमाम तरीकों से दुष्प्रचार किया जा रहा है। इसी के चलते वे बतौर पीड़ित, न्याय पाने के लिए कोर्ट की शरण में गए हैं।
मुकदमा किए जाने की सूचना मिलने पर वरिष्ठ पत्रकार शैलबाला बिफर पड़ीं। उन्होंने कहा कि यह मेरे पर अत्याचार है। एक तो 32 साल की नौकरी करने के बाद धक्के देकर और दुर्व्यवहार करके बाहर निकाला गया। दुर्व्यवहार के खिलाफ न्याय पाने के लिए मैं थाने गई पर ऊंचे पद पर बैठे आरोपियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। बेरोजगारी की इस स्थिति में मुकदमा होना मेरे साथ एक और अन्याय है। मुकदमा लड़ने के लिए कहां से पैसा लाऊंगी? पीड़ित महिला को न्याय दिलाने के बजाय उल्टे मुकदमों में फंसाकर कोर्ट-कचहरी में घसीटा जा रहा है। नौकरी छीनने और दुर्व्यवहार करने से पेट नहीं भरा तो अब बेरोजगार महिला को मुकदमें के जरिए तंग किया जा रहा है। मैं न्याय की लड़ाई लड़ रही हूं और लड़ती रहूंगी। इन धमकियों से डरने वाली नहीं हूं। अगर कोर्ट में घसीटा ही गया है तो कोर्ट में मैं वो सब बताऊंगी जो मेरे साथ किया गया है। मैंने एचटी ग्रुप में 32 साल तक सात संपादकों के अधीन काम किया है। कोई नहीं कह सकता कि मैंने कभी किसी पर कोई आरोप लगाया हो या किसी के साथ कोई गलत व्यवहार किया हो। जब मैंने दुर्व्यवहार किए जाने की रिपोर्ट थाने में लिखाई तो प्रबंधन के लोगों ने थाने में अप्लीकेशन दे दिया कि उन्हें आशंका है कि शैलबाला आरोप लगा सकती हैं। आखिर उन्हें यह सपना कैसे आया? यह सब पैसे और पद के दुरुपयोग का खेल है। वे एक वरिष्ठ पत्रकार होकर यह सब झेल रही हैं तो आम आदमी के साथ क्या होता होगा, इसकी कल्पना भर की जा सकती है। सबसे दुखद यह है कि एक महिला के साथ उसी संस्थान के लोग अत्याचार कर रहे हैं जिस संस्थान के वरिष्ठ पदों पर जानी-मानी महिलाएं बैठी हैं।
वरिष्ठ पत्रकार राजीव रंजन नाग का कहना है कि मुकदमें के बारे में मुझे आपसे जानकारी मिल रही है। अगर नोटिस मिलता है तो वे कोर्ट के सामने पक्ष रखेंगे। लीगल फोरम के जरिए इसका सामना करेंगे। अगर दुर्व्यवहार की शिकार एक वरिष्ठ महिला पत्रकार का साथ देना कोई अपराध है तो मैंने ये अपराध किया है। हकीकत का पर्दाफाश अदालत में किया जाएगा। प्रमोद जोशी ने अगर अदालत में जाने का साहस किया है तो उनके इस साहस को मैं सलाम करता हूं। यह एक बड़ी लड़ाई है। प्रतिष्ठान और पद की आड़ में व्यक्तियों को धमकाने की प्रवृत्ति पर रोक लगनी चाहिए। अगर पीड़ित महिला का पक्ष लेना मानहानि है तो इसका जवाब अदालत में दिया जाएगा। हम अदालत का सम्मान करते हैं और अदालत के फैसले का भी सम्मान करेंगे। पर हम ये जानना चाहते हैं कि इस धर्मनिरपेक्ष देश भारत में पैगंबर मोहम्मद की आकृति प्रकाशित करने वाले अभी जेल के पीछे क्यों नहीं गए? किस तरह मामले को रफा-दफा किया गया? सबको पता है कि इस्लाम में पैगंबर मोहम्मद की आकृति प्रकाशित करने से परहेज करने की बात कही गई है। इंडिया सेकुलर कंट्री है लेकिन ये अखबार धर्म का अपमान कर रहे हैं। जो संपादक गांधी को फासिस्ट बताने वाले लेख उसी अखबार में लिख और छाप चुके हैं जो अखबार कभी गांधी का प्रवक्ता हुआ करता था, उऩकी समझ पर तरस आता है। फ्रीडम आफ एक्सप्रेसन की लड़ाई लड़ने वाले अखबार में बैठे लोग अब न्याय की आवाज उठाने वाले लोगों की आवाज बंद करने पर तुले हुए हैं, यह शर्मनाक है। हम जानना चाहते हैं कि प्रमोद जोशी ने अपने पूरे करियर की मानहानि की कीमत क्या लगाई है?
भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह ने इस प्रकरण पर कहा कि अभी तक कोई नोटिस नहीं मिला है लेकिन प्रमोद जोशी जी ने बातचीत में स्वीकारा है कि मुकदमा कर दिया गया है। प्रमोद जी वरिष्ठ पत्रकार और संपादक हैं। उनसे अपेक्षा नहीं थी कि वे पत्रकारों पर ही मुकदमा कर देंगे। संपादक का दूसरा मतलब सहृदय, सरल और सहज भी होता है। संपादकों पर मुकदमें होते आए हैं, ये तो हम लोगों ने सुना है लेकिन संपादक को अपने पत्रकारों पर ही मुकदमा करना पड़ा, यह पहली बार सुन रहा हूं। प्रमोद जी की यह हरकत उनकी सोच और व्यक्तित्व को दर्शाती है। रही बात शैलबाला प्रकरण की, तो इसको लेकर जितनी भी खबरें भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित की गईं, उस पर एचटी मीडिया की तरफ से जो भी पक्ष आया, उसे हू-ब-हू और ससम्मान प्रकाशित किया गया। बावजूद इसके, मुकदमा करना नीयत में खोट दर्शाता है। कहीं न कहीं यह मामला वेब जर्नलिस्ट सुशील कुमार सिंह के मामले जैसा है जिसमें उन्हें अपनी वेबसाइट पर एचटी ग्रुप के बारे में एक खबर लिखने पर पुलिस का सामना करना पड़ा था और आज तक वे परेशान हैं। सुशील जी के प्रकरण के वक्त देश भर के पत्रकारों ने एकजुट होकर आवाज बुलंद किया था लेकिन लगता है एचटी ग्रुप ने सबक नहीं लिया। ऐसा प्रतीत होता है जैसे कुछ लोग एचटी ग्रुप की छवि खराब करने पर आमादा हैं। तभी वे बार-बार अपने गलत कार्यों का खुलासा करने वालों को कोर्ट-कचहरी और पुलिस के जरिए परेशान करने में लग जाते हैं। जहां तक भड़ास4मीडिया की बात है तो यह देश के लाखों पत्रकारों की आवाज उठाने वाला पोर्टल है और यह संभावित है कि प्रबंधन के लोग इसे अपना निशाना बनाएंगे। अभी तक निशाना क्यों नहीं बनाया गया, यही आश्चर्य की बात है।
यशवंत सिंह ने आगे कहा कि भड़ास4मीडिया की टीम देश भर के आम पत्रकारों के शारीरिक, आर्थिक और नैतिक सहयोग से कोर्ट में पूरी मजबूती से अपना पक्ष रखेगी। अगर जेल जाने की स्थिति आती है तो हम सहर्ष जेल जाएंगे क्योंकि यह मसला लोकतांत्रिक दायरे में अभिव्यक्ति की आजादी का मामला है। अगर एचटी ग्रुप और प्रमोद जोशी के चलते भड़ास4मीडिया का संचालन बंद कराया जाता है तो यह भारतीय मीडिया के इतिहास में कारपोरेट मीडिया की दबंगई व मनमानी के गहन भयावह दौर का प्रारंभ होगा। न्यू मीडिया माध्यम (ब्लाग, वेबसाइट, मोबाइल आदि) अभी जब अपने पैर पर खड़ा होना सीख रहे हैं, ऐसे में परंपरागत और स्थापित मीडिया माध्यमों में सर्वोच्च पदों पर बैठे स्वनामधन्य लोगों द्वारा इस तरह का दादा जैसा व्यवहार करना, न सिर्फ अनैतिक और गैर-पेशेवराना है बल्कि लोकतंत्र व मीडिया में आस्था रखने वालों को हताश करने वाला भी है। अभी तो मामला सिर्फ मुकदमें तक है। मुझे आशंका है कि ये लोग अपनी श्रेष्ठता और सर्वोच्चता साबित करने के लिए प्रतिक्रियास्वरूप हम न्यू मीडिया माध्यम के संचालकों को शारीरिक रूप से भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं। लेकिन सच कहने की जिद के चलते हम लोग वो सब कुछ झेलने को तैयार हैं जो हर युग में किसी न किसी सच कहने वाले को झेलना पड़ा है। मुझे पूरा विश्वास है कि देश भर के मीडियाकर्मी इस संकट की घड़ी में भड़ास4मीडिया के साथ खड़े होंगे। यह मुकदमा अगर शुरू होता है तो ऐतिहासिक मुकदमा होगा जिसकी अनुगूंज दूर तक सुनाई देगी।


4................
दैनिक हिंदुस्तान के साथ कई दशक से जुड़े वरिष्ठ मीडियाकर्मियों से जबरन इस्तीफा लिए जाने की खबर है। सूत्रों के मुताबिक विनोद वार्ष्णेय (ब्यूरो चीफ, दिल्ली), अरुण कुमार (बिजनेस एडीटर, दिल्ली), राजीव रंजन नाग (स्पेशल करेस्पांडेंट, दिल्ली), विवेक शुक्ला (स्पेशल करेस्पांडेंट, दिल्ली), अनिल वर्मा (स्पेशल करेस्पांडेंट, चंडीगढ़), श्रीपाल जैन (सीनियर असिस्टेंट एडीटर, दिल्ली), बीरेन मेहता (स्पेशल करेस्पांडेंट, दिल्ली), संदीप ठाकुर (सीनियर करेस्पांडेंट, दिल्ली) को संस्थान ने कार्यमुक्त कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि दैनिक हिंदुस्तान, दिल्ली की स्पेशल करेस्पांडेंट शैलबाला का भी इस्तीफा तैयार है। शैलबाला को किसी तरह भनक लग गई और वे छुट्टी पर चली गईं हैं। सूत्रों के मुताबिक कुल 18 लोगों को हटाया जाना है।'मिंट' की पोलिटिकल एंड डिप्लोमेटिक एडीटर ज्योति मल्होत्रा कार्यमुक्त इनमें से अभी तक 9 लोगों के नाम पता चल सके हैं। बताया जाता है कि जनरल मैनेजर बासुकी नाथ ने इन सभी को एक एक कर बुलाया और सामने इस्तीफे का पत्र रखकर इस पर दस्तखत करने को कहा। ऐसा न करने पर टर्मिनेट कर दिए जाने की बात कही। इसको लेकर इन सभी वरिष्ठ मीडियाकर्मियों की नोकझोंक भी हुई लेकिन सबने दुखी मन से इस्तीफे पर हस्ताक्षर किया और घर लौट गए। बताया जाता है कि सभी को दो महीने की बेसिक सेलरी का चेक थमाया गया। यह एमाउंट एक महीने की संपूर्ण सेलरी के आधे से भी कम है। नौकरी से कार्यमुक्त किए गए लोगों में विनोद वार्ष्णेय सबसे वरिष्ठ हैं। वे लगभग 37 वर्ष से एचटी ग्रुप की सेवा में थे। विवेक शुक्ला आलराउंडर पत्रकार माने जाते हैं। विवेक ने एचटी और हिंदुस्तान दोनों के लिए हिंदी-अंग्रेजी में हजारों की संख्या में लेख, खबरें और कवर स्टोरी लिखी हैं। वे 23 वर्षों से इस ग्रुप के साथ जुड़े हुए थे।सूत्रों के मुताबिक पहले चर्चा थी कि जिनकी उम्र 55 साल से ज्यादा है, उन लोगों को कार्यमुक्त किया जा सकता है लेकिन इस पैमाने पर विवेक शुक्ला, राजीव रंजन नाग और संदीप ठाकुर फिट नहीं बैठते। बावजूद इसके इन तीनों को कार्यमुक्त किया गया है। बताया जाता है कि आज पूरे दिन एचटी बिल्डिंग में हड़कंप मचा रहा। हिंदुस्तान के दूसरे मीडियाकर्मियों ने निकाले गए अपने वरिष्ठ साथियों के सम्मान में उन्हें विदा करने एचटी बिल्डिंग के बाहर तक आए। बताया जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में कई अन्य लोगों को भी इस्तीफे का पत्र थमाया जा सकता है।एक अन्य खबर के मुताबिक 'मिंट' अखबार की पोलिटिकल एंड डिप्लोमेटिक एडीटर ज्योति मल्होत्रा को कार्यमुक्त कर दिया गया है। ज्योति आईएनएक्स से आईं थीं और वे इंडियन एक्सप्रेस के साथ भी काम कर चुकी हैं।