Saturday, March 7, 2009




कात्यायनी....चाहत

ख़ामोश उदास घंटियों की
बज उठने की सहसा उपजी ललक,
घास की पत्तियों का
मद्धम संगी

रेगिस्तान में गूँजती
हमें खोज लेने वाले की
विस्मित पुकार,
दहकते जंगल में
सुरक्षित बच रहा
कोई नम हरापन ।
यूँ आगमन होता है
आक
स्मिक
प्यार का

शुष्कता के किसी यातना शिविर में भी
और हम चौंकते नहीं
क्योंकि हमने उम्मीदें बचा रखी थीं
और अपने वक़्त की तमाम
सरगर्मियों और जोख़िम के
एकदम बीचोंबीच खड़े थे



अनामिका......अयाचित

मेरे भंडार में
एक बोरा ‘अगला जनम’
‘पिछला जनम’ सात कार्टन
रख गई थी मेरी माँ।

चूहे बहुत चटोरे थे
घुनों को पता ही नहीं था

कुनबा सीमित रखने का नुस्खा

... सो, सबों ने मिल-बाँटकर

मेरा भविष्य तीन चौथाई
और अतीत आधा
मज़े से हज़म कर लिया।

बाक़ी जो बचा
उसे बीन-फटककर मैंने
सब उधार चुकता किया
हारी-बीमारी निकाली
लेन-देन निबटा दिया।
अब मेरे पा
स भला क्या है ?

अगर तुम्हें ऐसा लगता है
कुछ है जो मेरी इन हड्डियों में है अब तक
मसलन कि आग
तो आओ
अपनी लुकाठी सुलगाओ।



अरुणा राय......आंखों के तरल जल का आईना

मेरा यह आईना
शीशे का नहीं

जल का है

यह टूट कर
बिखरता नहीं

बहुत संवेदनशील है यह
तुम्हारे कांपते ही
तुम्हारी छवि को
हजार टुकडों में

बिखेर देगा यह

इसलिए
इसके मुकाबिल होओ
तो थोडा संभलकर

और हां
इसमें अपना अक्श

देखने के लिए
थोडा झुकना पडता है
यह आंखों के तरल

जल का आईना है



रेखा....बेटियां
हैरान हूँ यह सोचकर
कहाँ से आती हैं बार-बार
कविता में बेटियाँ
बाजे बजाकर
देवताओं के साक्ष्य में
सबसे ऊँचे जंगलों
सबसे लम्बी नदियों के पार
छोड़ा था उन्हें

अचरज में हूँ
इस धरती से दूर
दूसरे उपग्रहों पर चलीं गई वे बेटियाँ
किन कक्षाओं में
घूमती रहती है आस-पास
नये-नये भाव वृत्त बनाती
घेरे रहती हैं
कैसे जान
लेती हैं-

लावण्या शाह....मां मुझे फिर जनो
देखो, मँ लौट आया हुँ !
अरब समुद्र के भीतर से,
मेरे भारत को जगाने कर्म के दुर्गम पथ पर सहभागी बनाने,
फिर, दाँडी ~ मार्ग पर चलने फिर एक बार शपथ ले,
नमक , चुटकी भर ही लेकर हाथ मँ,
प्रण ले, भारत पर निछावर होने
मँ, मोहनदास गाँधी,फिर, लौट आया हूँ !

Friday, March 6, 2009

आज अमर उजाला में औरत नामा

कहीं लव ऐपल, कहीं इत्र की होली
* अमरीका में 31 अक्तूबर को सूर्य पूजा की जाती है. इसे होबो कहते हैं. इसे होली की तरह
मनाया जाता है. इस अवसर पर लोग फूहड वेशभूषा धारण करते हैं.
* नार्वे, स्वीडन में सेंट जान का पवित्र दिन होली की तरह मनाया जाता है. शाम को पहाड़ी पर होलिका दहन की तरह लोग आग जलाकर नाचते गाते हैं.
* इंग्लैंड में मार्च के अंतिम दिनों में लोग अपने मित्रों और संबंधियों को रंग भेंट करते हैं ताकि उनके जीवन में रंगों की बहार आए.
* थाईलैंड में तेरह अप्रैल को नव वर्ष 'सौंगक्रान' प्रारंभ होता है. इसमें वृद्धजनों के हाथों इत्र मिश्रित जल डलवाकर आशीर्वाद लिया जाता है.
* लाओस में यह पर्व नववर्ष की खुशी के रूप में मनाया जाता है. लोग एक-दूसरे पर पानी डालते हैं. म्यांमर में इसे जल पर्व के नाम से जाना जाता है.
* जर्मनी में ईस्टर के दिन घास का पुतला बनाकर जलाया जाता है. लोग एक दूसरे पर रंग डालते हैं. हंगरी का ईस्टर होली के अनुरूप ही है.
* अफ्रीका में 'ओमेना वोंगा' मनाया जाता है. इस अन्यायी राजा को लोगों ने ज़िंदा जला डाला था. अब उसका पुतला जलाकर नाच गाने से खुशी व्यक्त करते हैं.
* अफ्रीकी देशों में 16 मार्च को सूर्य का जन्म दिन मनाया जाता है. लोगों का विश्वास है कि सूर्य की सतरंगी किरणों को निहारने से उनकी आयु बढ़ती है.
* पोलैंड में 'आर्सिना' पर लोग रंग और गुलाल मलते हैं. यह रंग फूलों से निर्मित होने के कारण काफ़ी सुगंधित होता है. लोग परस्पर गले मिलते हैं.
* अमरीका में 'मेडफो' नामक पर्व मनाने के लिए लोग नदी के किनारे एकत्र होते हैं और गोबर तथा कीचड़ से बने गोलों से एक दूसरे पर आक्रमण करते हैं.
* चेक, स्लोवाक क्षेत्र में बोलिया कोनेन्से त्योहार पर युवा लड़के-लड़कियाँ एक दूसरे पर पानी एवं इत्र डालते हैं. हालैंड का कार्निवल होली सी मस्ती का पर्व है.
* बेल्जियम की होली भारत सरीखी होती है और लोग इसे मूर्ख दिवस के रूप में मनाते हैं. यहाँ पुराने जूतों की होली जलाई जाती है.
* इटली में रेडिका त्योहार एक सप्ताह तक मनाया जाता है. लकड़ियों के ढेर चौराहों पर जलाए जाते हैं. लोग परिक्रमा, आतिशबाजी करते हैं. गुलाल लगाते हैं.
* रोम में इसे सेंटरनेविया कहते हैं तो यूनान में मेपोल. ग्रीस का लव ऐपल होली भी प्रसिद्ध है. स्पेन में लाखों टन टमाटर एक दूसरे को मार कर होली खेलते हैं.
* जापान में 16 अगस्त की रात को टेमोंजी ओकुरिबी नामक पर्व पर कई स्थानों पर तेज़ आग जला कर यह त्योहार मनाया जाता है.
* चीन में होली की शैली का त्योहार च्वेजे है. यह पंद्रह दिन तक मनता है. लोग आग से खेलते हैं और अच्छे परिधानों में सज धज कर परस्पर गले मिलते हैं.
* साईबेरिया में घास फूस और लकड़ी से होलिका दहन जैसी परंपरा है.

Thursday, March 5, 2009

आज अमर उजाला में औरतनामा



कहीं लव ऐपल, कहीं इत्र की होली
* अमरीका में 31 अक्तूबर को सूर्य पूजा की जाती है. इसे होबो कहते हैं. इसे होली की तरह
मनाया जाता है. इस अवसर पर लोग फूहड वेशभूषा धारण करते हैं.
* नार्वे, स्वीडन में सेंट जान का पवित्र दिन होली की तरह मनाया जाता है. शाम को पहाड़ी पर होलिका दहन की तरह लोग आग जलाकर नाचते गाते हैं.
* इंग्लैंड में मार्च के अंतिम दिनों में लोग अपने मित्रों और संबंधियों को रंग भेंट करते हैं ताकि उनके जीवन में रंगों की बहार आए.
* थाईलैंड में तेरह अप्रैल को नव वर्ष 'सौंगक्रान' प्रारंभ होता है. इसमें वृद्धजनों के हाथों इत्र मिश्रित जल डलवाकर आशीर्वाद लिया जाता है.
* लाओस में यह पर्व नववर्ष की खुशी के रूप में मनाया जाता है. लोग एक-दूसरे पर पानी डालते हैं. म्यांमर में इसे जल पर्व के नाम से जाना जाता है.
* जर्मनी में ईस्टर के दिन घास का पुतला बनाकर जलाया जाता है. लोग एक दूसरे पर रंग डालते हैं. हंगरी का ईस्टर होली के अनुरूप ही है.
* अफ्रीका में 'ओमेना वोंगा' मनाया जाता है. इस अन्यायी राजा को लोगों ने ज़िंदा जला डाला था. अब उसका पुतला जलाकर नाच गाने से खुशी व्यक्त करते हैं.
* अफ्रीकी देशों में 16 मार्च को सूर्य का जन्म दिन मनाया जाता है. लोगों का विश्वास है कि सूर्य की सतरंगी किरणों को निहारने से उनकी आयु बढ़ती है.
* पोलैंड में 'आर्सिना' पर लोग रंग और गुलाल मलते हैं. यह रंग फूलों से निर्मित होने के कारण काफ़ी सुगंधित होता है. लोग परस्पर गले मिलते हैं.
* अमरीका में 'मेडफो' नामक पर्व मनाने के लिए लोग नदी के किनारे एकत्र होते हैं और गोबर तथा कीचड़ से बने गोलों से एक दूसरे पर आक्रमण करते हैं.
* चेक, स्लोवाक क्षेत्र में बोलिया कोनेन्से त्योहार पर युवा लड़के-लड़कियाँ एक दूसरे पर पानी एवं इत्र डालते हैं. हालैंड का कार्निवल होली सी मस्ती का पर्व है.
* बेल्जियम की होली भारत सरीखी होती है और लोग इसे मूर्ख दिवस के रूप में मनाते हैं. यहाँ पुराने जूतों की होली जलाई जाती है.
* इटली में रेडिका त्योहार एक सप्ताह तक मनाया जाता है. लकड़ियों के ढेर चौराहों पर जलाए जाते हैं. लोग परिक्रमा, आतिशबाजी करते हैं. गुलाल लगाते हैं.
* रोम में इसे सेंटरनेविया कहते हैं तो यूनान में मेपोल. ग्रीस का लव ऐपल होली भी प्रसिद्ध है. स्पेन में लाखों टन टमाटर एक दूसरे को मार कर होली खेलते हैं.
* जापान में 16 अगस्त की रात को टेमोंजी ओकुरिबी नामक पर्व पर कई स्थानों पर तेज़ आग जला कर यह त्योहार मनाया जाता है.
* चीन में होली की शैली का त्योहार च्वेजे है. यह पंद्रह दिन तक मनता है. लोग आग से खेलते हैं और अच्छे परिधानों में सज धज कर परस्पर गले मिलते हैं.
* साईबेरिया में घास फूस और लकड़ी से होलिका दहन जैसी परंपरा है.

रागात्मक प्यार और यौन शुचिता


मध्य वर्ग से लेकर कामगार वर्गों तक की कामकाजी स्त्रियों का शारीरिक-मानसिक श्रम सबसे सस्ता है. "जाने कहाँ गए वो दिन….." गाते हुए. रोते-सिसकते हुए, पुराने समय के "रागात्मक प्यार" और सुखद माहौल को याद करते हुए अंतत: करुण क्रंदन कर उठते हैं. महिलाओं के लिए 40 कानून बने हैं. सती प्रथा, दहेज हत्या, भ्रूण हत्या, डायन हत्या, घरेलू हिंसा पर कानून बन चुके हैं. लम्बे से समय से आधी आबादी ने अपने अधिकार के लिए, अपनी स्वतंत्रता के लिए जो आंदोलन घर के बाहर छेड़े, वह घर के अंदर नही छेड़ पाई है. अधिकार और स्वतंत्रता का जो दायरा कल था, वही आज भी है. भले वह ग्राम पंचायतों से संसद तक पहुंच गई हो, अपने परिवारों में वह आज वही होती है. सिर्फ शब्द बदल गये. आधी आबादी को नयी तकनीक के साथ जोड़ दिया गया लेकिन उसका मानसिक और शरीरिक शोषण उसी रफ्तार से चल रहा है. देश के अंदर स्त्री अधिकार के लिए बने कानून के साये में महिलाओं की भूमिका आज भी बुनियादी तौर पर कतई नहीं बदली है.

भारत में यौन शुचिता और चरित्र समानार्थी हैं. उपभोक्तावाद अब भारतीय परिवारों के सामंती दरवाजों पर ठोकर मार रहा है. मूल्य दरक रहे हैं और अजीबो-गरीब लगने वाली घटनाएं घट रही हैं. 'सच्चरित्र` हत्यारिन मां या 'दुश्चरित्र` मटुकनाथों की अपवाद लगने वाली घटनाएं इस विध्वंस के आरंभिक संकेत हैं.

ब्यूटी पार्लर, जिम से लेकर बाबा रामदेव जैसों के धंधे इसी कारण फल-फूल रहे हैं. विज्ञापनी दुनिया उन्हें लगातार बताती रहती है कि स्वस्थ शरीर में मंहगे वस्‍त्राभूषण फबते हैं. यौन शुचिता संबंधी दुराग्रहों की समाप्ति की राह भी आने वाले समय में यहां से निकलेगी. अभिजात तबके में उपभोक्तावाद का असर कुछ अलग तरह का है. वहां इसने अभिभावक-संतान के संबंधों को मित्रतापूर्ण बनाया है. कौमार्य के बंधनों को ढीला किया है.

Tuesday, March 3, 2009

सीमा गुप्ता की पांच सुहाने लफ्ज



"मै डरती हूँ "

मै जानती हूँ .........
मेरे खत का उसे इंतजार नही
मेरे दुख से उसे सरोकार नही ,
मेरे मासूम लफ्ज उसे नही बहलाते
मेरी कोई बात भी उसे याद नही.
मेरे ख्वाबों से उसकी नींद नही उचटती
मेरी यादो मे उसके पल बर्बाद नही
मेरा कोई आंसू उसे नही रुलाता
उसे मुझसे जरा भी प्यार नही
कोई आहट उसे नही चौंकाती
क्योंकि उसे मेरा इन्तजार नही
मगर मै डरती हूँ उस पल से
जब वो चेतना में लौटेगा और
पश्चाताप के तूफानी सैलाब से
गुजर नही पायेगा ...जड हो जाएगा
मै डरती हूँ ....बस उस एक पल से.


"एहसास"
हर साँस मे जर्रा जर्रा
पलता है कुछ,
यूँ लगे साथ मेरे
चलता है कुछ.
सोच की गागर से
निकल शब्द बन
अधरों पे खामोशी से
मचलता है कुछ.
ये एहसास क्या ...
तुम्हारा है प्रिये ???
जो मोम बनके मुझमे ,
बर्फ़ मानिंद .....
पिघलता है कुछ

"इश्क मोहब्बत प्यार सनम"
"प्यार कोई व्योपार नहीं,
किसी की जीत या हार नहीं,
प्यार तो बस प्यार ही है,
रहमो करम का वार नहीं ..."
"तुम हर दुःख हरने आई हो......."
जीवन की सुनी बगिया मे...
असंख्य पुष्प बन तुम लहराई हो,
चंचल तितली, मस्त पवन...
तुम शीतल चंदन बन कर छाई हो,
आस , उम्मीद, हो प्यार मेरा तुम ,
अंधियारे में जुगनू सी जगमगाई हो,
नन्हे नन्हे कोमल स्पर्श तुम्हारे...
तुम हर दुःख हरने आई हो.......
"झील को दर्पण बना"
रात के स्वर्णिम पहर मेंझील को दर्पण बना
चाँद जब बादलो से निकल
श्रृंगार करता होगा
चांदनी का ओढ़ आँचलधरा भी इतराती तो होगी...
मस्त पवन की अंगडाईदरख्तों के झुरमुट में छिप कर
परिधान बदल बदलमन को गुदगुदाती तो होगी.....
नदिया पुरे वेग मे बहकिनारों से टकरा टकरा
दीवाने दिल के धड़कने कासबब सुनाती तो होगी .....
खामोशी की आगोश मे रात
जब पहरों में ढलती होगीओस की बूँदें दूब के बदन पे
फिसल लजाती तो होगी ......
दूर बजती किसी बंसी की धुन
पायल की रुनझुन और सरगम अनजानी सी
कोई आहट आकर
तुम्हे मेरी याद दिलाती तो होगी.....
आभार...कोई जब इस तरह दिल को छू जाए तो क्या करें!