सोनिया गांधी की तरह कुछ लोग परिदृश्य से लापता हैं। कोई अता-पता नहीं। कहीं कोई चर्चा-फर्चा नहीं। अखबारी सुर्खियों से भी गायब हैं। उनके बिना मौसम में बड़ी खामोशी है।
एक दिन जनता की अदालत में उनकी बड़ी पुकार मची कुछ इस तरह....
तसलीमा नसरीन हाजिर हों!
महाश्वेता देवी हाजिर हों।
वीपी सिंह हाजिर हों।
अमर सिंह हाजिर हों।
लालू यादव हाजिर हों।
नामवर सिंह हाजिर हों।
राजेंद्र यादव हाजिर हों।
प्रभाष जोशी हाजिर हों।
काशीनाथ सिंह हाजिर हों।
...और अंत में अर्दली बोला.....हुजूर, कोई नहीं बोल रहा। किसी का कुछ अता-पता नहीं।
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2 comments:
अच्छा हुआ पिछले दो दिन से आप फिर से लिख रही हैं वरना इसी अर्दली से:
सीता खान हाजिर हों...
भी सुनाई देता. :)
जो हाज़िर हैं उनकी नोटिस नहीं जो गायब हैं उनकी पुकार अजीब हालात हैं.
तस्लीमाजी को इस पते पर देखिये कि वो कहां कहां नुमाया है मेरी ग़ज़लो में मेरी रूह में
http://subhashbhadauria.blogspot.com/2008/02/blog-post_24.html
आज फिर तस्लीमाजी की कशिश आप के ब्लॉग तक खीच लायी.
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