Monday, February 25, 2008

सीमोन के सवालों में स्त्रीःएक


....नारीत्व के ऊपर अब तक बहुत कालिख पोती जा चुकी है और शायद हमारे पास बहुत कुछ कहने को बचा भी नहीं है। सोचना यह है कि अब तक जो कुछ कहा गया, क्या वह वास्तव में समस्या की सही समझ के लिए पर्याप्त है? क्या औरत वास्तव में केवल औरत है? ...पंडित कहेंगे औरत भटक गई है। औरत, औरत नहीं रही। हम सोचने लगते हैं कि क्या यह सब सच है? आधुनिक औरत यदि परंपरागत औरत नहीं, तो क्या हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि आज दुनिया में औरत का सही स्थान और सही रूप वस्तुतः क्या है? वस्तुतः उसका कौन सा दर्जा होना चाहिए?
पहला प्रश्न यह उठता है कि औरत क्या है? (कोई कुछ कहेगा, कोई कुछ, लेकिन) आज की औरत की वास्तविकता कोई नकार नहीं सकता। वस्तुतः मानव-जाति में औरत का पृथक अस्तित्व एक तथ्य है। औरत मानवता का आधा हिस्सा है। यह अलग बात है कि हमे समझाया जाए कि आज नारीत्व खतरे में है। औरत को औरत होना सिखाया जाता है। औरत बनी रहने के लिए उसे अनुकूल किया जाता है। तथ्यों के विश्लेषण से यह समझ में आएगा कि प्रत्येक मादा मानव-जीव अनिवार्यतः एक औरत नहीं। यदि वह औरत होना चाहती है, तो उसे और तपने की रहस्यमय वास्तविकता से परिचित होना पड़ेगा।
प्रश्न यह उठता है कि यह नारीत्व कौन-सी गुणवत्ता है? क्या वह रेशमी आंचल फहराये जाने से ही पृथ्वी पर प्रकट हो जाती है? बहुत-सी औरतें ऐसी हैं, जो जोर-शोर से इस औरतपन को मूर्तिमान करने में लगी हुई हैं। प्रायः औरत का वर्णन अस्पष्ट और लच्छेदार भाषा में किया जाता है। यह अवधारणा अब अपना स्थान वैचारिक जगत में खो चुकी है। जीवविज्ञान और समाजविज्ञान उस अस्तित्व को एक अपरिवर्तनीय स्थिर तत्व की तरह नहीं स्वीकारते, जो आरोपित विशेषताओं को आचार संहिता का रूप देता है। जैसे यहूदी या नीग्रो होना मानव-जाति की एक विशेषता तो हो सकती है, लेकिन वह संपूर्ण मनुष्य को अपने आपमें समाहित नहीं कर सकती, उसी प्रकार औरत होना मादा मानव के संपूर्ण अस्तित्व के लिए उत्तरदायी नहीं हो जाता। विज्ञान किसी भी विशेषता को परिस्थितिजन्य एक प्रतिक्रिया के रूप में स्वीकार करता है। यदि आज नारीत्व का अस्तित्व नहीं है तो हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि ऐसा कभी था भी नहीं, किंतु तब क्या औरत शब्द का कोई विशिष्ट अर्थ नहीं? यह दृढ़ रूप से स्वीकार किया गया है कि युक्तिवाद और नामवाद के दर्शन को स्वीकार करने वालों के लिए औरत महज एक मानव जीव है, जिसे औरत शब्द से रेखांकित किया गया है।

सीमोन के सातसवाल ..................... (जवाब चाहिए)
1.अब तक जो कुछ कहा गया, क्या वह वास्तव में समस्या की सही समझ के लिए पर्याप्त है?
2.क्या औरत वास्तव में केवल औरत है?
3.आधुनिक औरत यदि परंपरागत औरत नहीं, तो क्या हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि आज दुनिया में औरत का सही स्थान और सही रूप वस्तुतः क्या है?
4.वस्तुतः उसका कौन सा दर्जा होना चाहिए?
5. पहला प्रश्न यह उठता है कि औरत क्या है?
6.क्या वह रेशमी आंचल फहराये जाने से ही पृथ्वी पर प्रकट हो जाती है?
7.क्या औरत शब्द का कोई विशिष्ट अर्थ नहीं?

2 comments:

सुजाता said...

सीमोन के महत्वपूर्ण सवाल हैं।
सव्ह यही है कि स्त्री बनाई जाती है । पैदा नही होती ।

अजय कुमार झा said...

sita jee,
prashn goodh hai . magar mein koshish karoongaa ki jaldi hee apko uttar de sakoon , ummeed hai ki ye jarooree nahin hai ki koi mahilaa hee iskaa uttar de.