"मै डरती हूँ "
मै जानती हूँ .........
मेरे खत का उसे इंतजार नही
मेरे दुख से उसे सरोकार नही ,
मेरे मासूम लफ्ज उसे नही बहलाते
मेरी कोई बात भी उसे याद नही.
मेरे ख्वाबों से उसकी नींद नही उचटती
मेरी यादो मे उसके पल बर्बाद नही
मेरा कोई आंसू उसे नही रुलाता
उसे मुझसे जरा भी प्यार नही
कोई आहट उसे नही चौंकाती
क्योंकि उसे मेरा इन्तजार नही
मगर मै डरती हूँ उस पल से
जब वो चेतना में लौटेगा और
पश्चाताप के तूफानी सैलाब से
गुजर नही पायेगा ...जड हो जाएगा
मै डरती हूँ ....बस उस एक पल से.
मेरे खत का उसे इंतजार नही
मेरे दुख से उसे सरोकार नही ,
मेरे मासूम लफ्ज उसे नही बहलाते
मेरी कोई बात भी उसे याद नही.
मेरे ख्वाबों से उसकी नींद नही उचटती
मेरी यादो मे उसके पल बर्बाद नही
मेरा कोई आंसू उसे नही रुलाता
उसे मुझसे जरा भी प्यार नही
कोई आहट उसे नही चौंकाती
क्योंकि उसे मेरा इन्तजार नही
मगर मै डरती हूँ उस पल से
जब वो चेतना में लौटेगा और
पश्चाताप के तूफानी सैलाब से
गुजर नही पायेगा ...जड हो जाएगा
मै डरती हूँ ....बस उस एक पल से.
"एहसास"
हर साँस मे जर्रा जर्रा
पलता है कुछ,
यूँ लगे साथ मेरे
चलता है कुछ.
सोच की गागर से
निकल शब्द बन
अधरों पे खामोशी से
मचलता है कुछ.
ये एहसास क्या ...
तुम्हारा है प्रिये ???
जो मोम बनके मुझमे ,
बर्फ़ मानिंद .....
पिघलता है कुछ
हर साँस मे जर्रा जर्रा
पलता है कुछ,
यूँ लगे साथ मेरे
चलता है कुछ.
सोच की गागर से
निकल शब्द बन
अधरों पे खामोशी से
मचलता है कुछ.
ये एहसास क्या ...
तुम्हारा है प्रिये ???
जो मोम बनके मुझमे ,
बर्फ़ मानिंद .....
पिघलता है कुछ
"इश्क मोहब्बत प्यार सनम"
"प्यार कोई व्योपार नहीं,
"प्यार कोई व्योपार नहीं,
किसी की जीत या हार नहीं,
प्यार तो बस प्यार ही है,
रहमो करम का वार नहीं ..."
"तुम हर दुःख हरने आई हो......."
जीवन की सुनी बगिया मे...
असंख्य पुष्प बन तुम लहराई हो,
चंचल तितली, मस्त पवन...
तुम शीतल चंदन बन कर छाई हो,
आस , उम्मीद, हो प्यार मेरा तुम ,
अंधियारे में जुगनू सी जगमगाई हो,
नन्हे नन्हे कोमल स्पर्श तुम्हारे...
तुम हर दुःख हरने आई हो.......
जीवन की सुनी बगिया मे...
असंख्य पुष्प बन तुम लहराई हो,
चंचल तितली, मस्त पवन...
तुम शीतल चंदन बन कर छाई हो,
आस , उम्मीद, हो प्यार मेरा तुम ,
अंधियारे में जुगनू सी जगमगाई हो,
नन्हे नन्हे कोमल स्पर्श तुम्हारे...
तुम हर दुःख हरने आई हो.......
"झील को दर्पण बना"
रात के स्वर्णिम पहर मेंझील को दर्पण बना
चाँद जब बादलो से निकल
श्रृंगार करता होगा
चांदनी का ओढ़ आँचलधरा भी इतराती तो होगी...
मस्त पवन की अंगडाईदरख्तों के झुरमुट में छिप कर
परिधान बदल बदलमन को गुदगुदाती तो होगी.....
नदिया पुरे वेग मे बहकिनारों से टकरा टकरा
दीवाने दिल के धड़कने कासबब सुनाती तो होगी .....
खामोशी की आगोश मे रात
जब पहरों में ढलती होगीओस की बूँदें दूब के बदन पे
फिसल लजाती तो होगी ......
चाँद जब बादलो से निकल
श्रृंगार करता होगा
चांदनी का ओढ़ आँचलधरा भी इतराती तो होगी...
मस्त पवन की अंगडाईदरख्तों के झुरमुट में छिप कर
परिधान बदल बदलमन को गुदगुदाती तो होगी.....
नदिया पुरे वेग मे बहकिनारों से टकरा टकरा
दीवाने दिल के धड़कने कासबब सुनाती तो होगी .....
खामोशी की आगोश मे रात
जब पहरों में ढलती होगीओस की बूँदें दूब के बदन पे
फिसल लजाती तो होगी ......
दूर बजती किसी बंसी की धुन
पायल की रुनझुन और सरगम अनजानी सी
कोई आहट आकर
तुम्हे मेरी याद दिलाती तो होगी.....
आभार...कोई जब इस तरह दिल को छू जाए तो क्या करें!
13 comments:
प्यार......
मेरा कोई आंसू उसे नही रुलाता
उसे मुझसे जरा भी प्यार नही
कोई आहट उसे नही चौंकाती
क्योंकि उसे मेरा इन्तजार नही
आंसू
नही
रुलाता
क्योंकि
उसे
मेरा
इन्तजार
नही
उसे
मुझसे
जरा भी
प्यार
नही
सीमा की इन चार लाइनों में कितनी कशिश है.
"प्यार कोई व्योपार नहीं,
किसी की जीत या हार नहीं,
प्यार तो बस प्यार ही है,
रहमो करम का वार नहीं ..."
sabhi rachnayen bahut sunder. badhai.
एक साथ इतनी सारी सुंदर रचनाएं। हम तो खो गए............
बहुत सुंदर रचनाएं ... काफी अच्छी लगी।
फिर फिर भी ये पढीं जाय तो चिर नबीन ही लगती हैं -शुक्रिया !
आपकी लिखी कवितायें हमेशा ही मन भाती है
सीता खान जी अपने आप को यहाँ अचानक देख मै तो हैरत में पड गयी.......आपके इस स्नेह और मान के लिए मै दिल से आभारी हूँ.....आप को मेरे ये लफ्ज पसंद आये और आपने यहाँ मुझे जगह दी....शुक्रिया...
Regards
बहुत गहन और भावपूर्ण अभिव्यक्तियाँ हैं सीमा जी की. आभार प्रस्तुत करने का.
सभी रचनाएं अच्छी लगी । एहसास ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया । बधाई
बहुत आभार आपका इन कालजयी रचनाओं को पढवाने का. बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
सीमा जी आप दिल की गहराइयों से लिखती हैं | बहुत -बहुत बधाई |
अम्बरीष श्रीवास्तव
जब वो चेतना में लौटेगा और
पश्चाताप के तूफानी सैलाब से
गुजर नही पायेगा ...जड हो जाएगा
मै डरती हूँ ....बस उस एक पल से
एक पल में ही कितना कुछ कह दिया, इन पंक्तियों ने!
aisa laga jaise kahin kho gaye hai hum.... really.. dil ko chhoo liya seemaji ki rachnaon ne..
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