संसद का महत्वपूर्ण बजट सत्र 22 फरवरी से होने की संभावना है जिसमें रेल बजट और आम बजट के अलावा आर्थिक समीक्षा पेश की जाएगी। राज्यसभा के उपसभापति के रहमान खान ने बुधवार को कहा कि बजट सत्र को 22 फरवरी से आगे नहीं टाला जा सकता है। इस बीच सूत्रों ने बताया कि रेल बजट 24 फरवरी को पेश किया जाएगा। 25 फरवरी को आर्थिक समीक्षा तथा 26 फरवरी को आम बजट पेश किया जाएगा। ठीक तीन हफ्ते बाद प्रणब मुखर्जी लोकसभा में आम बजट 2010-11 पेश करेंगे। वित्त मंत्री और उनकी टीम बजट की तैयारियों में जुट गई है। वित्त मंत्रालय में व्यवस्था चाक चौबंद कर दी गई है। हमेशा की तरह इस बार भी बजट टोली वित्त मंत्रालय में दस्तावेजों और छपाई मशीनों के बीच ‘कैद’ होने की तैयारी में है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के आम बजट को अंतिम रूप देने में जुटे अधिकारी बजट से ठीक पहले वित्त मंत्रालय की इमारत के बेसमेंट में बंद हो जाएंगे। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा संसद में बजट पेश करने के बाद ही ये अधिकारी बाहर निकलेंगे। इनको न तो घर जाने की इजाजत होती है और न ही किसी से बात करने की। पूरी दुनिया से इनका संपर्क कट जाता है। बजट की छपाई में लगे हर अधिकारी पर सुरक्षा एजेंसियों और खुफिया एजेंसी आईबी की नजर होती है। बजट की छपाई, वाइंडिंग और पैकिंग करने वाले कर्मचारियों के लिए खाना कैंटीन से आता है। आईबी के अधिकारी इस खाने की जांच भी करते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं खाने के बरतनों और बचे हुए खाने की भी सघनता से जांच की जाती है। इस बीच वित्त मंत्रालय में पत्रकारों के प्रवेश पर भी रोक लगा दी जाती है। पिछले साल बजट की तकरीबन 16 हजार प्रतियां छापी गई थीं। इनमें से 13,500 अंग्रेजी और करीब 2500 हिंदी में थीं। उधर, यूपीए चेयरमैन सोनिया गांधी की एक चिट्ठी ने आम बजट 2010 -2011 की दिशा बदल दी है। चिट्ठी मिलने के बाद अब वित्त मंत्रालय जोर-शोर से आम बजट में सामाजिक क्षेत्र, जन कल्याण और गरीबों के लिए चलाई जानी वाली योजनाओं के लिए भारी मात्रा में धन के इंतजाम में जुट गया है। सूत्रों के अनुसार, इस बार सोशल सेक्टर के लिए बजट 3.70 लाख करोड़ रुपये से 3.80 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। पिछले साल विभिन्न सामाजिक योजनाओं के लिए करीब 3.25 लाख करोड़ रुपये का बजट था। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और उनकी टीम इस बार इन योजनाओं के बजट में कमी की फिराक में थी। इसके दो अहम कारण हैं। पहला, कल्याणकारी योजनाएं चलाई तो गईं, मगर भ्रष्टाचार के चलते फायदा आम आदमी तक कम पहुंचा। ग्रामीणों को साल में 100 दिन रोजगार देने वाली नरेगा इसका प्रमाण है। दूसरा, सरकारी खजाने में धन की काफी कमी है। किसानों के 60 हजार करोड़ की कर्ज माफी और छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने से बजट गड़बड़ा गया है। यही कारण है कि मंत्रालय योजनागत व्यय में कटौती चाहता है। इस बात की भनक कई सीनियर कैबिनेट मंत्रियों के साथ कांग्रेसी नेताओं को लग गई। उन्होंने सोनिया से कहा कि महंगाई से पहले ही नाराजगी है और अगर जनहित की योजनाओं का बजट कम हुआ तो वह आम आदमी भी नाराज हो जाएगा जिसने यूपीए को फिर सत्ता में बिठाया है। सोनिया ने झट प्रधानमंत्री को पत्र लिखा। इसमें कहा गया है कि आम जनता की भलाई की योजनाओं में धन की समस्या आड़े नहीं आनी चाहिए। वर्तमान में सभी कल्याणकारी योजना ठीक से चल रही हैं। इससे जनता को लाभ भी है। अगर इनमें कमी होगी तो इसे जनहित प्रभावित होगा। पीएम ने खत का मजमून भांपकर सोनिया की चिट्ठी वित्त मंत्रालय भेज दी। वित्त मंत्रालय ने इसे योजना आयोग को भेज दिया। अब योजना आयोग और वित्त मंत्रालय दोनों मिलकर कोशिश कर रहे हैं कि आम जनता के लिए चल रही कल्याणकारी योजनाओं की खातिर बजट में किस तरह ज्यादा से ज्यादा आवंटन किया जाए।
Wednesday, February 10, 2010
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