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लड़कियां कभी छोटी नहीं होतीं
लड़कियां
रोज सुबह
देहरी तक झाड़ू-पोंछा लगाती हैं
और घर हो जाती हैं।
....लड़कियां
हंसती हैं
और घूरने लगती हैं।
....लड़कियां
कभी छोटी नहीं होती हैं
बड़ी-बड़ी बातें करती हुईं।
छोटी-छोटी बातें करती हैं लड़कियां
और बड़ी हो जाती हैं।
2 comments:
सुन्दर, यथार्थ और गंभीर। अर्थात एक सम्पूर्ण रचना।
सही कहा, लड़कियां कभी छोटी नहीं होती हैं, आसपास यही देखता हूं, मां काम करती हैं और सात आठ साल की लड़की अपने छोटे भाई को मां की तरह संभालती है
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