Sunday, February 21, 2010

देश की सर्वोच्च पंचायत पर घिरे घमासान के बादल


बजट सत्र सोमवार से, विपक्ष ने कमर कसी, पीएम और पवार ने कहा- हम मुकाबले को तैयारः सोमवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र में कीमतों में वृद्धि पर घेरने के लिए विपक्षी दलों के कमर कसने के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि वह उन हमलों का सामना करने के लिए तैयार हैंसरकार का पसीना छुड़ाने के लिए यह तथ्य काफी है कि भाजपा, सपा और वाम दलों सहित तमाम विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर अपने सियासी मतभेद भुला दिए हैं। विपक्ष राष्ट्रपति के अभिभाषण के अगले दिन, यानी मंगलवार को महंगाई पर चर्चा के लिए नियम 193 के तहत प्रश्नकाल स्थगन का नोटिस दे चुका है। तय कार्यक्रम के मुताबिक 24 फरवरी को लोकसभा में रेल बजट और 26 को आम बजट पेश होना है। विपक्ष के निशाने पर आ चुके प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि सरकार संसद में सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार द्वारा सोमवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र से पहले बुलाई गई राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठक के बाद मनमोहन सिंह ने साफ कर दिया है कि हम संसद में सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार हैं। सत्र की कार्यवाही सोमवार 22 फरवरी को दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के संबोधन के साथ शुरू होगी और यह सत्र सात मई तक चलेगा। सरकार 2010-11 का आम बजट 26 फरवरी को पेश करेगी जबकि रेल बजट 24 फरवरी और आर्थिक समीक्षा 25 फरवरी को पेश की जाएगी। स्थाई समितियों को विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की अनुदान मांगों पर विचार कर रपट तैयार करने का समय देने के लिए लोकसभा की कार्यवाही 16 मार्च को स्थगित रहेगी और 12 अप्रैल को फिर से बैठक शुरू होगी। राज्यसभा की कार्यवाही भी 22 फरवरी से ही शुरू होगी। कृषि मंत्री पवार का कहना है कि मैं जानता हूं कि कई विपक्षी नेता चीनी की कीमतों पर मुझे निशाना बनायेंगे लेकिन मैं अच्छा खिलाड़ी हूं और इन हमलों का सामना करने को तैयार हूं। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने यूरिया के दामों में बढ़ोत्तरी पर सफाई देते हुए कहा कि यूरिया खाद के दाम वर्ष 2002 से नहीं बढ़ाए गए थे। शोलापुर में उनकी पार्टी राकांपा के कार्यालय का वर्ष 2002 में जब उद्घाटन हुआ था, तब से यूरिया के दामों में बढ़ोत्तरी नहीं हुई थी। यूरिया के दामों को बढ़ाना सरकार के लिए अपरिहार्य हो गया था। सरकार इस चिंता से भी दुबली हुई जा रही है कि अगले साल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के मद्देनजर तृणमूल नेता ममता बनर्जी महंगाई पर भी कोई तीखी टिप्पणी न कर बैठें। वाम गठबंधन की रणनीति है कि कांग्रेस और तृणमूल में दो-दो हाथ हो जाए। आगामी रेल बजट में रेल यात्री किराए में बढ़ोतरी की आशंकाओं के बीच मालभाड़े को युक्तिसंगत बनाने के लिए इसमें भी 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना व्यक्त की जा रही है। फिर भी कैबिनेट की बैठक में झड़प के बाद माना जा रहा है कि आगामी रेल बजट में किराया-भाड़े में कोई रद्दोबदल शायद ही हो। दो-तीन दिन पूर्व आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में रेलवे की उन डेढ़ दर्जन परियोजनाओं पर चर्चा हुई जिन्हें आगामी रेल बजट में शामिल किया जाना है। इनमें से ज्यादातर वे लोकलुभावन परियोजनाएं थीं जिनकी घोषणा ममता रेल बजट में करना चाहती हैं। इनमें से कई योजनाओं का संबंध पश्चिम बंगाल से है, जहां उनकी निगाह राइटर्स बिल्डिंग पर है। सूत्रों के मुताबिक चर्चा के दौरान वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने ममता से कहा कि इन परियोजनाओं के लिए पैसा जुटाने के लिए रेलवे को किराया-भाड़ा बढ़ाना होगा। वैसे न तो रेलवे की वित्तीय स्थिति अच्छी है और न ही सरकार के पास इतना पैसा है कि इन परियोजनाओं के लिए धन मुहैया कराया जाए। सूत्रों के अनुसार इस पर ममता भड़क गई। उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत पर किराया-भाड़ा नहीं बढ़ेगा और इन परियोजनाओं की मंजूरी भी जरूरी है। इस पर प्रणब को गुस्सा आ गया और उन्होंने उनको यह कहते हुए डांट लगा दी, ’किराया-भाड़ा नहीं बढ़ाना है तो रेलवे को परियोजनाओं के लिए पैसों का इंतजाम भी खुद करना होगा। सरकार कोई मदद नहीं करेगी। कल रेल मंत्री ने केन्द्र में सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन(यूपीए) सरकार के साथ किसी मतभेद से इनकार करते हुए दो टूक कहा कि उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीसी) पांच सालों तक सरकार में शामिल रहेगी। उधर, विपक्ष की ओर से सरकार का पसीना छुड़ाने के लिए इतना काफी लगता है कि भाजपा, सपा और वाम दलों सहित तमाम विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर अपने मतभेद ताक पर रख दिए हैं। सरकार के रणनीतिकार महंगाई पर गरमा रही राजनीति में विपक्षी दलों के बाजी मारने की कोशिश से ज्यादा चिंतित है। सरकार को चिंता है कि इस मुद्दे पर उसके कई सहयोगी भी विपक्ष के पाले में नजर आ सकते हैं। लोकसभा अध्यक्ष ने बैठक यह सुनिश्चित करने के लिए बुलाई थी कि बजट जैसे अहम कामकाज को अंजाम देने में कोई बाधा ना हो। लेकिन नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज हों या फिर वामदल नेता बासुदेव आचार्य और गुरुदास दासगुप्ता, सभी ने एक सुर में बजट सत्र में सबसे पहले महंगाई पर चर्चा कराने के लिए दबाव बनाया। संकेत साफ हैं कि राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद अगर संसद चलेगी तो महंगाई पर चर्चा के बाद ही। विपक्ष के पास महंगाई का मुद्दा तो पुराना है, पाकिस्तान को वार्ता की पेशकश और पुणे ब्लास्ट के रूप में विपक्ष के पास ताजा मसले भी हैं। यूरिया की कीमतों में बढ़ोतरी के सरकार के फैसले पर भी सपा और वामदलों की त्यौरियां चढ़ी हुई हैं। पारिख समिति और रंगनाथ आयोग की रिपोर्टो, माओवाद की समस्या, आतंरिक सुरक्षा, जम्मू-कश्मीर की स्वायत्ता पर सगीर अहमद की रपट,असंगठित क्षेत्र के कामगारों की स्थिति, आदि सदन को गरमा सकते हैं। उधर, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार हंगामे के बावजूद प्रश्नकाल पूरा कराने के उपाय तलाश रही हैं। इस सिलसिले में संसदीय कार्य मंत्री के साथ उनकी बातचीत भी हुई है। हाल में ही लोकसभा नियमों में सुधार कर यह सुनिश्चित किया गया है कि प्रश्न पूछने वाले सदस्य के मौजूद नहीं होने पर भी उससे संबद्ध मंत्री जवाब देंगे। शीत सत्र के दौरान लगातार सवाल पूछने वाले सांसदों की गैरहाजिरी के चलते प्रश्नकाल खूब प्रभावित हुआ था। मीरा कुमार ने इसे गंभीरता से लिया था और नियमों में संशोधन करा यह तय करा दिया कि सांसद के नहीं होने पर भी प्रश्न का जवाब होगा। यही वजह है कि नियम में इस ताजा संशोधन के बाद मीरा कुमार की कोशिश है कि प्रश्नकाल पर आंच ना आए। तेलुगू देशम पार्टी के नेता नामा नागेश्वर राव ने महंगाई के मुद्दे पर सरकार की ओर से श्वेत पत्र पेश किए जाने की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी, किसानों के समक्ष उत्पन्न संकट और इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन जैसे मसलों पर पार्टी चर्चा चाहती है। द्रमुक के टी के एस एलनगोवन ने कहा कि महंगाई पर केवल चर्चा कराने से काम नहीं चलेगा। मूल्य नियंत्रण के लिए व्यापक कानून लाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा को वापस राज्यों की सूची में डाला जाना चाहिए और सरकार को कम से कम इस सत्र में इस संबंध में कोई विधेयक नहीं पेश करना चाहिए। अन्नाद्रमुक के एम थंबी दुरई ने महंगाई, किसानों विशेषकर गन्ना किसानों की समस्याओं, आतंकवाद सहित कानून व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि संसद या विधानसभाओं के सत्र के दौरान उपचुनाव नहीं होने चाहिए क्योंकि कई सदस्य ऐसा होने पर सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हो पाते हैं। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार कहती हैं कि मैं चाहूंगी कि बजट सत्र के दौरान सदन की 35 बैठकों में हर दिन का कामकाज सुचारू रूप से निपटे। ग्यारह से बारह बजे तक होने वाला प्रश्नकाल अगर किसी कारण से स्थगित हो जाता है तो यह लोकसभा अध्यक्ष का विशेषाधिकार होगा कि वह उसी दिन किसी और समय में प्रश्नकाल का कार्यवाही की इजाजत दे सकती हैं। यह ध्यान दिलाने पर कि कई सांसदों ने अभी 90 दिन के भीतर संपत्ति का ब्यौरा देने के नियम का पालन नहीं किया है, मीरा कुमार ने कहा कि ज्यादातर ने दे दिया है कुछ ही रह गए हैं। ऐसे सांसदों को इस संबंध में पत्र लिखा गया है और उम्मीद है कि सभी सांसद अपनी संपत्ति का ब्यौरा दे देंगे। इस सवाल पर कि क्या भाजपा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी के सदन में बैठने का स्थान तय हो गया है, लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि व्यवस्था हो गई है और सीटों की व्यवस्था में परिवर्तन किया गया है। आडवाणी के लिए दूसरा स्थान तय किया गया है। उर्वरक एवं रसायन मंत्री एम के अलगिरि द्वारा सदन में हिंदी या अंग्रेजी में नहीं बोल पाने के बारे में किए गए सवाल पर मीरा कुमार ने कहा कि उन्हें आकर मुझसे मिलना चाहिए ताकि मुझे पता लगे कि समस्या क्या है। उन्होंने कहा कि तमिल सहित 14 क्षेत्रीय भाषाओं में सदस्य या मंत्री बोल सकते हैं लेकिन उसके लिए पहले उन्हें नोटिस देना होगा और अध्यक्ष की अनुमति लेनी होगी ताकि दुभाषियों की व्यवस्था की जा सके। यह सुविधा पहले से ही है। तेलंगाना मसले पर कांग्रेस के सांसद एल राजगोपाल द्वारा दिया गया इस्तीफा मंजूर किए जाने के बारे में पूछे गए सवाल पर मीरा कुमार ने कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है।

4 comments:

Akhilesh pal blog said...

auraat ka samman hona chahiye achha bura kee pribhasa samay ke sath badal jata hai

Akhilesh pal blog said...

auraat ka samman hona chahiye achha bura kee pribhasa samay ke sath badal jata hai

Akhilesh pal blog said...

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