Tuesday, March 2, 2010

सर्व शिक्षा अभियान, सरकार की इच्छा


सर्व शिक्षा अभियान में बातें तो बहुत की जाती हैं, बजट भी अच्छा-खासा होता है लेकिन उसे ठिकाने लगाने की जुगत कितनी जोरदार होती है, इसे भी सारा देश जानता है। फिलहाल आइए डालते हैं, इस अभियान पर एक नजर।
नागरिक साक्षरता दर बढ़ाने के लिए अनेक योजनाएं चल रही हैं, लेकिन सर्वशिक्षा अभियान और शिक्षा अधिकार यात्रा जैसे कदम के हरियाणा, बुंदेलखंड आदि क्षेत्रों में नूतन प्रयोगों ने निचले पायदान पर खड़े लाखों-करोड़ों बच्चों के लिए संभावनाओं के नए द्वार खोल दिए हैं। सर्व शिक्षा अभियान यानी एसएसए की योजना वर्ष 2010 तक 6 से 14 वर्ष के आयु समूह में सभी बच्‍चों को उपयोगी तथा सार्थक प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने के लिए 2000-01 में आरंभ की गई थी। इसका प्राथमिक लक्ष्य है, विद्यालयों के प्रबंधन में सामूहिक भागीदारी के साथ सामाजिक, क्षेत्रीय और लिंग संबंधी अंतरालों को कम करना। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं, वर्ष 2010 तक 8 वर्ष की आयु वाले देश के सभी बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा से लैस कराना।
उल्लेखनीय होगा कि हरियाणा में चलाई जा रही “शिक्षा अधिकार यात्रा” को संयुक्त राष्ट्र सहस्त्राब्दी अभियान ने शिक्षा के क्षेत्र में “सर्वश्रेष्ठ कार्यक्रम” (बेस्ट प्रैक्टिस) के रूप में मान्यता दी है। इस योजना का प्रारूप भी कदम ने तैयार किया। संयुक्त राष्ट्र ने आठ विभिन्न क्षेत्रों में सहस्रताब्दी विकास लक्ष्य तय किए हैं, जिन्हें 2015 तक पूरा किया जाना है। संयुक्त राष्ट्र ने शिक्षा अधिकार यात्रा को शिक्षा के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ पहल के रूप में स्वीकार किया है। हरियाणा प्राथमिक शिक्षा परियोजना परिषद के सहयोग से कदम ने मार्च-जुलाई 2007 तक
शिक्षा अधिकार यात्रा आयोजित की। अपने तरह की इस अनोखी यात्रा के दौरान बच्चों और अभिवावकों को शिक्षा के लिए प्रेरित किया गया। इस यात्रा की बदौलत हरियाणा में कुछ महीनों के भीतर स्कूल छोड़ने का प्रतिशत करीब 75 प्रतिशत घट गया। शिक्षा अधिकार यात्रा को ब्रिटेन के अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग से भी सहयोग मिला है।
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के लिए वित्त वर्ष 2010—11 के लिए हिमाचल प्रदेश को 225 करोड़ रुपए का बजट मुहैया कराने के लिए सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे दी है। पिछले वित्त वर्ष में राज्य को सर्व शिक्षा अभियान के लिए 166 करोड़ की मंजूरी दी गई थी, जबकि इस वर्ष बजट में लगभग 38 फीसदी की वृद्धि प्रस्तावित है। हरियाणा में कदम की सहभागिता में सर्व शिक्षा अभियान कामयाबी तक पहुंचा। प्रदेश के 100 स्कूलों में यह योजना प्राथमिक तौर पर लागू की गई। इनके परिणाम देखकर ही यह फार्मूला पूरे प्रदेश में लागू किया गया। प्राथमिक शिक्षा ढांचे में आमूल-चूल परिवर्तन का आधार रखते हुए प्रदेश के 100 स्कूलों में पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को अव्वल आने या फिर फेल होने की चिंता भी नहीं रही। बच्चों का बस्ते स्कूल में रखे रहे और उनकी हिफाजत के लिए रैक बनाए गए। बस्ते की साफ-सफाई के लिए उसे घर ले जाने की इजाजत बच्चों को दी गई। पांचवीं तक बच्चों को फेल नहीं करने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह रहता है कि बच्चों पर होम वर्क करने का दबाव होता है, साथ ही अभिभावक भी बच्चे के गृह कार्य को लेकर चिंता में रहते हैं। यह प्लानिंग तैयार हुई कि बच्चों को होम वर्क नहीं दिया जाएगा और अध्यापन का तमाम काम स्कूल में ही किया जाएगा। इससे बच्चों के साथ ही अभिभावकों को भी मानसिक राहत मिली। इस राज्य में पिछले साल सर्व शिक्षा अभियान के तहत चलाए जाने वाले एक हजार से अधिक एआईई (अल्ट्रनेटिव इनोवेटिव एजुकेशन) सेंटर एक जनवरी से बंद कर दिए गए। सर्व शिक्षा अभियान कार्यक्रम में व्यापक स्तर पर परिवर्तन किए जाने की प्रक्रिया के तहत इन सेंटरों को इसलिए बंद कर दिया गया, क्योंकि सर्व शिक्षा अभियान कार्यक्रम को व्यावहारिक बनाने के लिए बड़े पैमाने पर परिवर्तन किए जाने लगे। एक हजार से अधिक सेंटर बंद कर दिये गये। सर्वशिक्षा अभियान के तहत राज्य में ऐसे 1000 से अधिक एआईई सेंटरों में 6 से 14 वर्ष की आयु के उन बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान की जाती थी जो स्कूली शिक्षा नहीं ले पाते थे या फिर शिक्षा बीच में ही अधूरी छोड़ देते थे। अब ऐसे बच्चों को सीधे प्राथमिक स्कूलों में भेजे जाने का निर्णय लिया गया। स्कूलों में उन लड़कियों के लिए विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की व्यवस्था की जाने लगी, जो स्कूली शिक्षा से वंचित रह गई थीं। राज्य के फरीदाबाद जिले में सर्व शिक्षा अभियान के तहत टीचरों को ट्रेनिंग देने के लिए इन सर्विस ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट स्थापित किया जाना तय हुआ, ताकि सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्राइमरी स्कूलों के टीचरों को रिसाइकलिंग प्रक्रिया के तहत पूरे साल ट्रेनिंग दी जा सके। हरियाणा सर्व शिक्षा अभियान परियोजना कार्यालय ने प्रत्येक जिले में इन सर्विस ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट के लिए स्थायी फैकल्टी के भर्ती शुरू कर दी। सर्व शिक्षा अभियान के तहत पहली से आठवीं क्लास के टीचरों को टीचिंग लेवल में सुधार लाने के उद्देश्य से प्रत्येक साल ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाया जाता है। यह ट्रेनिंग गुड़गांव स्थित एचसीआईआरटी से ट्रेनिंग प्राप्त मास्टर ट्रेनर देते हैं। इस दौरान राज्य में कदम के नेतृत्व में जगह-जगह सरकारी सैकेंड्री स्कूलों में समारोह आयोजित किए गए, जिनमें सर्वशिक्षा अभियान के अंतर्गत लड़कियों को स्कूल यूनीफार्म, जर्सियां व बूट जुराबें वितरित की गईं। निर्धन विद्यार्थियों को स्कूलों की तरफ आकर्षित करने के लिये ऐसे और भी कई प्रयास किए गए। इसके चलते बच्चों का रूझान तेजी से सरकारी स्कूलों की तरफ बढ़ा। बच्चों को मुफ्त पुस्तकें, मिड डे मील, सिलाई, कटाई, और वजीफा जैसी सुविधाएं सर्व शिक्षा अभियान के तहत मुहैया कराई गईं।
सर्वशिक्षा अभियान की जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करें तो इसकी मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ राज्यों में भी गंभीरता से पहलकदमी महसूस की जा रही है। क्योंकि यूनीसेफ रिपोर्टों के अनुसार भी इन राज्यों में प्राथमिक शिक्षा की तस्वीर बहुत उजली नहीं दिखती है। इन राज्यों में भी सर्वशिक्षा अभियान अथवा कदम के बुंदेलखंड की शिक्षा अधिकार यात्रा की तरह हर बच्चे को स्कूल भेजना सुनिश्चित करना ही होगा। इसके लिए खासकर छत्तीसगढ़ में गंभीर अभियान चलाकर राज्य की जवाबदेही जरूरी होगी। सूबे की चौथाई से अधिक बालिकाएं 16 साल की होते-होते स्कूल छोड़ देती हैं। नौ साल पहले सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत करते समय 2010 तक छह से चौदह वर्ष आयु वर्ग के सभी बच्चों को 'उपयोगी और सार्थक प्रारंभिक शिक्षा' का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसे कानूनी स्वरूप प्रदान करने के लिए 12 दिसंबर 2002 को संविधान के 86वें संशोधन में बच्चों के लिए नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा को 'मौलिक अधिकार' के रूप में मान्यता दी गयी। बावजूद इसके सचाई यह है कि सभी प्रयास बच्चों को शिक्षित करने के बजाय महंगी योजनाओं के दायरे में हैं।
छत्तीसगढ़ के बहुत सारे बच्चे इस अवसर के अभाव में जी रहे हैं क्योंकि उन्हें प्राथमिक शिक्षा जैसे अनिवार्य मूलभूत अधिकार मुहैया नहीं हो पा रहे हैं। अभियान के स्तर पर इस सामाजिक विसंगति से निपटने के लिए प्रारंभिक शिक्षा के प्रबंधन में पंचायती राज संस्थाओं, स्कूल प्रबंधन समिति, ग्रामीण व शहरी गंदी बस्ती स्तरीय शिक्षा समिति, अभिभावक-शिक्षक संगठन, माता-शिक्षक संगठन, जनजातीय स्वायतशासी परिषद् और अन्य जमीन से जुड़े संस्थाओं को, प्रभावी रूप से शामिल किया जा सकता है। इनसे स्वयंसेवी संगठन और राज्य सरकार की सीधी सहभागिता होनी चाहिए ताकि राज्य के सभी बच्चे 2010 तक 8 वर्षों की स्कूली शिक्षा पूरी कर लें। इसके लिए यह भी रेखांकित करना जरूरी होगा कि स्कूलों की वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। विशेष जरूरतमंद बच्चों को चिह्नित किया जाए। सामुदायिक और सांगठनिक एकजुटता सघन की जाए। बालिका शिक्षा को प्राथमिक तौर पर चुनौती माना जाए और प्रारंभिक शिक्षा में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए। इसके लिए यह भी जरूरी होगा कि अपनी मौजूदा शैक्षिक पद्धति का वस्तुपरक मूल्यांकन किया जाए, जिसमें शैक्षिक प्रशासन, स्कूलों में उपलब्धि स्तर, वित्तीय मामले, विकेन्द्रीकरण तथा सामुदायिक स्वामित्व, राज्य शिक्षा अधिनियम की समीक्षा, शिक्षकों की नियुक्ति तथा शिक्षकों की तैनाती को तर्कसम्मत बनाना, मॉनीटरिंग तथा मूल्यांकन, लड़कियों, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा सुविधाविहीन वर्गो के लिए शिक्षा, निजी स्कूलों तथा ई.सी.सी.ई. संबंधी मामले शामिल होगें। प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था में सुधार के लिए संस्थागत सुधार भी किए जाने जरूरी होंगे। सर्व शिक्षा अभियान इस तथ्य पर आधारित है कि प्रारंभिक शिक्षा कार्यक्रम का वित्त पोषण सतत् जारी रखा जाए। महिला समूह, ग्राम शिक्षा समिति के सदस्यों और पंचायतीराज संस्थाओं के सदस्यों को शामिल करके इस कार्यक्रम को गंभीरता से आगे बढ़ाया जाना चाहिए। यदि कदम को छत्तीसगढ़ में इस अभियान का नेतृत्व मिलता है तो इस कार्यक्रम में समुदाय आधारित पद्धति अपनायी जायेगी। शैक्षिक प्रबंध सूचना पद्धति, माइक्रो आयोजना और सर्वेक्षण से समुदाय आधारित सूचना के साथ स्कूल स्तरीय आंकड़ों का संबंध स्थापित करेगा। इसके अतिरिक्त प्रत्येक स्कूल एक नोटिस बोर्ड रखेगा जिसमें स्कूल द्वारा प्राप्त कि गए सारे अनुदान और अन्य ब्यौरे दर्शाए जाएंगे। बस्ती योजनाएं जिला की योजनाएं तैयार करने का आधार होंगी। लड़कियों विशेषकर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की लड़कियों की शिक्षा, सर्व शिक्षा अभियान का एक प्रमुख लक्ष्य होगा। सर्व शिक्षा अभियान पाठ्यचर्या में सुधार करके तथा बाल केन्द्रित कार्यकलापों और प्रभावी शिक्षण पद्धतियों को अपनाकर प्रारंभिक स्तर तक शिक्षा को उपयोगी और प्रासंगिक बनाने पर विशेष बल दिया जाएगा। इस अभियान के अनुसार प्रत्येक जिला एक जिला प्रारम्भिक शिक्षा योजना तैयार करेगा जो संकेद्रित और समग्र दृष्टिकोण से युक्त प्रारम्भिक शिक्षा के क्षेत्र में किए गए सभी निवेशों को दर्शाएगा। सर्व शिक्षा अभियान ढाँचा के अनुसार प्रत्येक जिला प्रारंभिक शिक्षा के क्षेत्र में समग्र एवं केन्द्रित दृष्टिकोण के साथ, निवेश किये जाने वाले और उसके लिए जरूरी राशि को प्रदर्शित करने वाली एक जिला प्रारंभिक शिक्षा योजना तैयार करेगी। यहाँ एक प्रत्यक्ष योजना होगी जो दीर्घावधि तक सार्वभौमिक प्रारंभिक शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करने की गतिविधियों को ढ़ाँचा प्रदान करेगा। उसमें एक वार्षिक कार्ययोजना एवं बजट भी होगा जिसमें सालभर में प्राथमिकता के आधार पर संपादित की जाने वाली गतिविधियों की सूची होंगी। प्रत्यक्ष योजना एक प्रामाणिक दस्तावेज होगा जिसमें कार्यक्रम कार्यान्वयन के मध्य में निरन्तर सुधार भी होगा।


No comments: