
सरकार को जल्दी नहीं और भी दर्द हैं महिला आरक्षण के सिवा 16 से सत्रावकाश समर्थक दलों के रूठने-मनाने का सिलसिला अभी लंबा चलेगा
(sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम)
राज्यसभा से तो महिला आरक्षण बिल पास हो गया, अब लगता है लोकसभा में बिल ओके कराने की न तो कांग्रेस को जल्दी है, न आसार एकदम अनुकूल दिखते हैं। अभी संसद में महामहंगाई वाले बजट के ओके होने की जल्दी है। इस महीने ही उसे किसी भी कीमत पर पारित करा लेना जरूरी है और 16 मार्च के बाद सत्रावकाश है। संसद की कार्यवाही 16 मार्च को तीन हफ्ते के लिए स्थगित हो जाएगी और फिर दोबारा 12 अप्रैल को शुरू होगी। मौजूदा सत्र 7 मई को समाप्त होना है। फिलहाल, कांग्रेस ने गेंद सरकार के पाले में डाल दी है। महिला आरक्षण बिल को कानूनी रूप देने और लागू करने के लिए जल्दबाजी ठीक नहीं मानी जा रही है। संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल कहते हैं कि फिलहाल बिल को लोकसभा में रखने की कोई तारीख तय नहीं की गई है। फिर कहते हैं कि 15-16 मार्च तक संभव है। जबकि अभी राज्यसभा से बिल पास होने की औपचारिक सूचना भी लोकसभा तक नहीं पहुंची है। 12 अप्रैल से दोबारा सत्र शुरू होने पर हर मंत्रालय की अनुदान मांगों पर विचार होना है। उसके बाद फाइनैंस बिल पास किया जाएगा। सरकार की कोशिश होगी कि फाइनैंस बिल के फौरन बाद लोकसभा में महिला बिल को पास कराया जाए। उसके बाद बिल सभी राज्यों को भेजा जाएगा। जहां आधे से ज्यादा राज्यों (15) में इसे दो तिहाई बहुमत से पास होना चाहिए। राज्यों में यूपी से ही बिल पास करवाना मुमकिन नहीं लग रहा, बाकी किसी राज्य से बिल पास होकर वापस आने में दिक्कत नहीं होगी। भाजपा और वामदल बजट पर सरकार को घेरने का भी अभी मूड बनाए हुए हैं। वे कटौती प्रस्ताव लाने की बात कर रहे हैं। ऐसे में महिला बिल विरोधी सपा, बसपा और राजद अगर विपक्ष के पक्ष में हो गईं तो सरकार पहले उस मुश्किल का सामना करना चाहेगी। सावधानी से सरकार के संख्या गणित को ध्यान में रखकर ही आगे की कार्यवाही बनाई जा रही है। लालू और मुलायम से बात की जा रही है। ममता से कल हो चुकी है। ममता ने कल रात सोनिया गांधी से मुलाकात भी की। सोनिया गांधी ने रेलमंत्री को भरोसा दिलाया है कि बिल पर उन्हें भरोसे में लिया जाएगा। इन सब हालात को देखते हुए लगता है कि सरकार खासतौर से महिला आरक्षण बिल को लोकसभा में पेश करने को लेकर जल्दबाजी नहीं करेगी। केंद्रीय कानून मंत्री एम. वीरप्पा मोइली कहते हैं कि विधेयक जब चर्चा और पारित होने के लिए लोकसभा में आएगा, उससे पहले सरकार सभी सहयोगियों के समर्थन का प्रबंध कर लेना चाहेगी।
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