Friday, March 12, 2010

संसद-परिसर में धरने पर तृणमूल सांसद


(sansadji.com)

संसद भवन परिसर में ही आज तृणमूल कांग्रेस के सांसद धरने पर बैठगए। वे पश्चिम बंगाल में कथित राज्य समर्थिक आतंकवाद के प्रतिविरोध जता रहे थे। सांसदों ने केन्द्र से आग्रह किया कि वह पश्चिमबंगाल की सत्ताधारी माकपा को राजनीतिक हिंसा फैलाने से रोके।उधर, तृणमूल सांसद कबीर ने नक्सलियों केंद्र के बीच मध्यस्थताकरने की इच्छा जताई है। सदन की बैठक शुरू होने से पहले ही आजसुबह तृणमूल सांसद हाथ में तख्तियां लिये संसद परिसर में महात्मागांधी की प्रतिमा के सामने एकत्र हुए। उन्होंने पश्चिम बंगाल की वाममोर्चा सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की। लोकसभा में पार्टी के मुख्यसचेतक सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, ‘‘ माकपा माओवादियों से लड़ाई के नाम पर राज्य समर्थित आतंकवाद फैलारही है। भारी संख्या में लोग मारे गये हैं। ’’ धरने पर तृणमूल के कबीर सुमन, काकोली घोष दस्तीदार, तापस पाल, शताब्दी राय, सुवेन्दु अधिकारी, रत्ना डे, नूरूल इस्लाम और जी सी नस्कर बैठे। उल्लेखनीय है कि आज ही दिन मेंवामदलों ने महंगाई के खिलाफ संसद पर प्रदर्शन किया, जिसमें सदन से वॉकऑउट कर वाम सांसद शामिल हुए।प्रदर्शन के बाद वाम सांसद संसद भवन से ही प्रदर्शन स्थल तक जुलूस की शक्ल में गये। उधर, तृणमूल कांग्रेस केसांसद और पश्चिम बंगाल में कवि तथा गायक के रूप में प्रसिद्ध कबीर सुमन ने कहा है कि उनकी इच्छा केंद्रसरकार और नक्सलियों की वार्ता में मध्यस्थता करने की है। नक्सलियों के खिलाफ जारी राज्य के अक्रामकअभियान के विरूद्ध आवाज उठाने के लिए जनजातियों के पास एक बहुत मजबूत कारण है। यदि दोनों पक्ष वार्ताके लिए आगे आते हैं तो मैं मध्यस्थता करने के लिए तैयार हूं। मुझे नक्सलियों और केंद्र के बीच मध्यस्थ बनने मेंकोई नैतिक हिचक नहीं है। नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन ग्रीन हंट चलाने के सरकार के फैसले की आलोचनाकरते हुए उन्होंने कहा कि लोगों का एक समूह पिछड़ी जनजातियों को उनकी ही जमीन से ताकत के बल परबेदखल करने का प्रयास कर रहा है। अब मामला पूरी तरह केंद्र सरकार के हाथ में है। यदि प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह और केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम नक्सलियों से बात करना चाहते हैं तो मामला सुलझ सकता है।

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