Thursday, March 11, 2010

कांग्रेस-भाजपा को महंगी पड़ सकती है मुस्लिम-पिछड़े-दलित सांसदों की बेचैनी




महिला आरक्षण बिल सपा-राजद-जदयू अध्यक्ष की सधी रणनीति
मुस्लिम संगठन देशव्यापी विरोध करने की तैयारी में व्यस्त

(खबर sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से)
महिला आरक्षण विधेयक के विरोध के पीछे पिछड़े एवं दलित-मुस्लिम राजनीति का चुनौतीपूर्ण एजेंडा काम कर रहा है। सपा को जहां अपने खोए मुस्लिम जनाधार की चिंता रही है, वही बिहार में लालू प्रसाद यादव आगामी विधानसभा चुनाव में पिछड़े एवं मुस्लिम फैक्टर पर नजर गड़ाते हुए बिल विरोध को हवा दे रहे हैं। कांग्रेस, भाजपा के दलित, मुस्लिम एवं पिछड़े समुदायों से आए सांसदों का अंदरूनी तौर पर मुखर होने की एक वजह यही है। विरोध के स्वर में वे सांसद भी स्वर मिलाए हुए हैं, जिन्हें डर है कि उनकी सीट महिला नेताओं के हवाले हो सकती है। फिलहाल सबसे बड़ी सूचना ये मिल रही है कि इस विधेयक के खिलाफ देश भर के मुस्लिम संगठन एकजुट होने जा रहे हैं। बिल पास कराने से कांग्रेस और भाजपा जिस वाहवाही की वारिस बनीं, अब वही उनके दलित-मुस्लिम वोट बैंक के गले का फांस बनने वाला है। कांग्रेस के दिग्विजय सिंह उत्तर प्रदेश में दलित-मुस्लिम वोट बैंक संभालने-सहेजने में जुटे हैं, उधर भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी हाल ही में पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में दलितों को गले लगाने का संदेश दे चुके हैं। अब महिला आरक्षण-बिल ने कांग्रेस-भाजपा दोनों के दलित-मुस्लिम समीकरण को डांवाडोल कर दिया है। उसी (बिहार और यूपी में मुस्लिम-यादव एका की संभावना) को हवा देने में जुटे हैं सपा, राजद और जदयू अध्यक्ष। बसपा सधे पांव इस हालात पर आगामी रणनीति तैयार करने में व्यस्त है। ताजा सूचना ये है कि महिला आरक्षण विधेयक के खिलाफ मुस्लिम संगठन देशव्यापी अभियान चलाने की रणनीति बना रहे हैं। चार मुस्लिम एवं दलित संगठनों ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल, मूवमेंट फॉर इम्पावरमेंट ऑफ इंडियन मुस्लिम, सामाजिक न्याय मोर्चा और डॉक्टर भीमराव आंबेडकर सेवादल ने एक साझा बयान में संकेत दे दिया है कि महिला आरक्षण विधेयक वास्तव में मुसलमानों को राजनीतिक रूप से खत्म करने की साजिश है। इस विधेयक के कानून बन जाने के बाद महिलाओं के लिए भी सीटें आरक्षित हो जाएंगी। इस आरक्षण से पहले से ही राजनैतिक रूप से कमजोर मुसलमानों की सियासत में हिस्सेदारी घटेगी। सेक्युलर फ्रंट के अध्यक्ष और समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य जमशेद जैदी का कहना है कि महिला आरक्षण बिल के जरिए भाजपा अपने मुस्लिम विरोधी एजेंडे को लागू करना चाहती है। महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के अलावा पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय मुस्लिम संगठन जल्द एक साथ इस विधेयक का विरोध तेज करने जा रहे हैं। राजद, सपा, जदयू अध्यक्ष की असली चिंता दलित नहीं बताए जाते हैं। उनका मकसद पिछड़ों एवं मुस्लिमों को एक मंच पर लाना लग रहा है। दलित सांसद अलग मोरचेबंदी के जरूरतमंत बताए जाते हैं। इस तरह के मोरचे की तस्वीर भी जल्द सामने आ सकती है। ऐसी सुगबुगाहट पार्टियों के भीतर तो मुखर होने ही लगी है।

1 comment:

Taarkeshwar Giri said...

Bahut hi achhi bat kahi hai aapne, Dhanywad.