Wednesday, March 10, 2010
चीन की संसद अब रबर स्टाम्प नहीं रही
कभी दलाई लामा ने कहा था कि चीन और भारत की संसद में जमीन-आसमान का अंतर है। चीन की संसद में जितनी खामोशी, भारत में उतना ही शोर। लेकिन नहीं, अब वहां भी समय करवट ले रहा है। पश्चिमी मीडिया द्वारा दिए गए रबर स्टैम्प के खिताब से मुक्ति पाने के लिए चीनी संसद को जल्द ही आम आदमियों से संबंधित मामलों में वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ का अधिकार मिलने जा रहा है। संसद की स्थाई समिति के अध्यक्ष वू बांगुओ के अनुसार नई व्यवस्था के तहत सांसद राज्य और केंद्र के अधिकारियों को तलब कर उनसे पूछताछ कर सकेंगे। इस साल कुछ चर्चित मामलों की रिपोर्ट पर संबंधित विभागों से पूछताछ करेंगे। उन विभागों के जिम्मेदार अधिकारियों को उपस्थित होकर न सिर्फ सुझावों को सुनना होगा बल्कि पूछताछ का भी जवाब देना होगा। इस बदलाव के दो उद्देश्य बताए जा रहे हैं। एक तो इससे बेहतर प्रशासन में मदद मिलेगी, दूसरी ओर पश्चिमी देशों द्वारा चीनी संसद को दिए गए रबर स्टैम्प के खिताब से भी मुक्ति मिलेगी। दुनिया भर में चीनी संसद की छवि सरकार की आज्ञाकारी संसद के रूप में बनी है। उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही में दलाई लामा ने भी कहा था कि चीनी और भारतीय संसद में जमीन आसमान का अंतर है। चीन की संसद में जितना सन्नाटा रहता है, भारत में उतना ही शोर।
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