Tuesday, March 9, 2010
लालू की सात बेटियां, फिर भी...!
(sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से साभार)
महिला सांसद उवाच
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि लालू को महिला आरक्षण विधेयक के पक्ष में रहने चाहिए था, क्योंकि उनकी संतानों में सात सिर्फ बेटियां हैं। माकपा सांसद वृंदा करात ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी बेहद अवसरवादी हैं। मध्यप्रदेश की सांसद माया सिंह ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक को मौजूदा स्वरूप में ही पारित किया जाना उचित कहा जा सकता है। इसमें संशोधन बाद में किया जा सकता है। भाजपा ने महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन करने की बात 1994 में की थी। गाँव में आज महिलाएँ अपने पैरों पर खड़ी हैं। राजनीति में उनकी पैठ है। ये उनकी इच्छाशक्ति का नतीजा है। कांग्रेस सांसद प्रभा ठाकुर का कहना था कि जिस तरह सभापति की कुर्सी का अपमान किया गया, उसकी मैं निंदा करती हूँ। अगर प्रधानमंत्री जी और सोनिया गांधी इतनी दृढ़ता नहीं दिखाते तो महिला आरक्षण विधेयक यहाँ तक नहीं पहुंचता। कांग्रेस सांसद जयंती नटराजन ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा महिला आरक्षण का समर्थन किया है। नजमा हेपतुल्ला ने कहा कि मैं इस बिल का पूरा समर्थन करती हूँ। मेरी पार्टी इसके साथ है। मुझे यकीन है कि प्रधानमंत्री भी नहीं चाहते थे कि राज्यसभा में ऐसा दृश्य देखने को मिले। महिला आरक्षण विधेयक के ज़रिए महिलाओं को सशक्त करने की कोशिश हो रही है लेकिन राज्यसभा में जो कुछ हुआ, उसे देखकर दुख हुआ। आज महिला विधेयक को लेकर नीति भी स्पष्ट है और नियत भी। अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि यहाँ सवाल संसद में नंबरों का नहीं है, सवाल नीति और नियत का था। उन्हें काफ़ी दुख हुआ कि सदन के कुछ सदस्य महिला आरक्षण के ख़िलाफ़ हैं। निर्दल सांसद एएस मलीहाबादी ने कहा कि महिला विधेयक पारित हो रहा है, लेकिन अगर अन्य वर्गों को भी इसमें हिस्सेदारी मिले तो अच्छा होगा। मैं बिल का समर्थन करती हूँ। महिला विधेयक में मुस्लिम महिलाओं के लिए आरक्षण नहीं है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा ने कहा कि सपा, बसपा और राजद द्वारा विधेयक के मौजूदा स्वरूप के विरोध ने उनके महिला विरोधी सोच को उजागर कर दिया है। मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष शोभा ओझा ने कहा कि कांग्रेस कल प्रदेश कार्यालय पर एक विशाल उत्सव मनाकर इसका स्वागत करेगी।
पुरुष सांसद उवाच
माकपा महासचिव प्रकाश करात ने कहा कि अब इस विधेयक पर राजनीति खत्म होनी चाहिए। सीपीआई के वरिष्ठ सांसद डी.राजा ने कहा कि महिला विधेयक केवल एक शुरुआत है। इस मौके पर मैं गीता मुखर्जी को लाल सलाम करता हूँबीजेपी सांसद अरूण जेटली ने कहा कि भाजपा ने बिल का समर्थन किया लेकिन संसद में जो कुछ हुआ, वो शर्मशार करना वाला है। हरियाणा के सांसद त्रिलोचन सिंह ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता दोनों को बधाई देना चाहता हूँ। आज हम ये ऐतिहासिक बिल पारित कर रहे हैं। एनसीपी सांसद तारिक़ अनवर ने कहा कि मैं चाहूँगा कि ये बिल आने वाले समय में देश के लिए फ़ायदेमंद हो और महिलाओं का राजनीतिक शोषण थमे। अच्छा होता कि ये बिल राजनीतिक सहमति से पास होता। सांसद एस. तिवारी का कहना था कि अगर आशंकाओं को दूर किया होता तो महिला विधेयक और बेहतर होता। मुसलमानों के मन में ये आशंका है कि उन्हें उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है। उन्हें लगता है कि महिलाओं का आरक्षण होने से मुसलमान सांसदों की संख्या और कम हो जाएगी। हम चाहते हैं कि आरक्षण के बीच आरक्षण हो लेकिन ये वर्ग बहुत बड़ा है। बिहार में हमने अति पिछड़ी जातियों को आरक्षण दिया है। जनता दल यूनाइटेड सांसद शिवानंद तिवारी ने भी विधेयक का समर्थन किया, जिसका सदन ने तालियों से स्वागत किया। बसपा सांसद सतीश मिश्रा ने कहा कि पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यक वर्ग की महिलाओं को मौका देना चाहिए। इस आरक्षण विधेयक में कुछ कमियाँ हैं, जिन्हें दूर करना चाहिए। वैसे महिलाओं को कम से कम 50 फ़ीसदी आरक्षण तो मिलना ही चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही संसद में 50 फ़ीसदी महिलाएँ होंगी और राजनीति में संवेदनशीलता आएगी।
लोकसभा में रारः व्यथित मीरा कुमार
लोकसभा में समाजवादी पार्टी और राजद के सांसदों ने पूरे दिन सदन की बैठक नहीं चलने दी। लोकसभा में सुबह जब 11 बजे कार्यवाही शुरू हुई तो महिला आरक्षण विधेयक में पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यकों के लिए अलग से कोटे को लेकर सपा, बसपा और राजद ने भारी हंगामा किया। इन पार्टियों के सांसद अध्यक्ष के आसन के सामने आकर नारेबाजी करने लगे। उनकी बेचैनी अनायास नहीं थी। भविष्य की राजनीतिक चिंताएं उन्हें परेशान किए हुए थीं। मीरा कुमार ने शोर-शराबे में बीस मिनट तक सदन की कार्यवाही चलने दी। इस दौरान मुलायम सिंह और लालू प्रसाद भी आसन के समक्ष आ गए। उनकी सदन के नेता प्रणब मुखर्जी और संसदीय दल के नेता पवन कुमार बंसल के साथ तकरार भी हुई। सपा सदस्य मिथिलेश कुमार ने आसन पर चढ़ने की कोशिश की। तब संसदीय कार्य राज्य मंत्री बी नारायण सामी ने ऐसा करने से रोका। हंगामा बढ़ता देख अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित कर दी। उसके बाद 12 बजे सदन की कार्यवाही फिर शुरू हुई। उसके तुरंत बाद इन पार्टियों के सांसद फिर से नारेबाजी करने लगे। अध्यक्ष ने तब सदन की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी। दो बजे भी सदन में वही नजारा था। जद-यू के कुछ सांसद भी हंगामे में शामिल हो गए। तब उपाध्यक्ष करिया मुंडा ने सदन की बैठक तीन बजे तक फिर स्थगित कर दी। तीन बजे फिर हंगामे का माहौल देख सदन चार बजे तक स्थगित करनी पड़ी। इसके बाद सदन फिर से शुरू हुआ तो मुलायम, लालू और उनके सहयोगी सांसद आसन के सामने आ कर नारेबाजी करने लगे। वे विधेयक की प्रतियां लहराने लगे और फिर उसको फाड़कर हवा में फेंक दिया। ऐसे में सदन की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। अध्यक्ष मीरा कुमार लोकसभा की कार्यवाही में बार-बार बाधा पहुंचने काफी व्यथित दिखीं। उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही सुचारू ढंग से सुनिश्चित करने के लिए पीठासीन सभापति के पास कई विकल्प होते हैं, लेकिन वे कोई कड़ी कार्रवाई से बचते हैं, क्योंकि लोकतंत्र में यह शोभा नहीं देता है। यह भारत की संसद है, जिसमें सभी सम्मानित सदस्य हैं और हम कोई कड़ी कार्रवाई करने से बचते हैं। सदन को चलाना हर किसी की जिम्मेदारी है और उन्हें सदन को शांतिपूर्ण तरीके से चलने देना चाहिए। सदन में केरल के सांसद अब्दुल वहाब ने कहा कि दस साल बाद शायद पुरुषों को आरक्षण करना पड़ेगा अगर यही भावना बरकरार रही तो! सांसद अबनी रॉय ने कहा कि मर्यादा के साथ इस बिल को पारित कर दिए जाने से पूरे देश में नारी जाति को सम्मान मिला है। सांसद शरद ए. जोशी ने कहा कि चुनावी क्षेत्र आरक्षित रखने को लेकर मैं पूरी तरह सहमत नहीं हूँ। क्या आरक्षण से कभी किसी को फ़ायदा हुआ है. मुझे नहीं लगता। निर्दल सांसद मोहम्मद अदीब ने कहा कि हम बिल के साथ हैं पर उम्मीद है कि मुसलमानों को भी आरक्षण मिले। मैं पूछना चाहता हूं कि हमारा समुदाय कब तक वोट माँगने की मशीन बनकर रहेगा। असम गण परिषद के सांसद बीरेंदर प्रताप ने कहा कि पूर्वोत्तर में महिलाओं की स्थिति बहुत अच्छी है। महिलाओं ने आज़ादी की लड़ाई में भागेदारी की है। अकाली दल के सांसद नरेश गुजराल ने कहा कि ये बहुत अच्छी बात है कि आज लगभग सारी पार्टियाँ इस बिल के पक्ष में है। इसी दल के सांसद राजमहेंद्र सिंह मजीठा ने कहा कि मैं नहीं चाहता, अनपढ़ महिलाएँ संसद में आ जाएं। सांसद बनने के लिए महिलाओं को दसवीं पास होना चाहिए। उन्हें पता तो हो कि वे क्या कर रही हैं। सांसद मनोहर जोशी ने कहा कि बिल पारित होने से महिलाएँ राजनीति में और भागेदारी कर सकेंगी। विधेयक के तहत चुनावी क्षेत्रों का आरक्षण राजनीतिक पार्टियों को करना चाहिए।
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