Tuesday, March 16, 2010
बलात्कार नहीं, यौन उत्पीड़न कहिए!
(sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम)
सदन में प्रस्तुत हो चुके अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) संशोधनविधेयक की जुबानी अब अपराध जगत, पुलिस जगत और देश-समाजमें नए स्वर गूंजने वाले हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय भारतीय दंड संहिताआईपीसी) में संशोधन कर इसमें बलात्कार शब्द की जगह यौनउत्पीड़न शब्द को शामिल करने जा रही है। आईपीसी में संशोधन के लिए विधेयक एक पखवाड़े के अंदर तैयार करइसका मसौदा मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध करवा दिया जाएगा। इस संशोधन के बाद कानून की नजर में उनपुरुषों को भी पीडि़त माना जा सकेगा, जो यौन शोषण का शिकार हुए हों। लोक सभा में अपराध प्रक्रिया संहितासीआरपीसी) में संशोधन विधेयक पेश किया गया जिसके मुताबिक गंभीर मामलों में पुलिस को इस बात का भीब्योरा देना होगा कि उन्होंने आरोपी की गिरफ्तारी क्यों नहीं की। आईपीसी में संशोधन के लिए विधेयक एकपखवाड़े के अंदर तैयार कर इसका मसौदा मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध करवा दिया जाएगा। आईपीसी कीधारा 375 के इस प्रस्तावित बदलाव के बाद महिलाओं के साथ कुछ अलग तरह के गंभीर यौन अत्याचार औरपुरुषों के साथ दुष्कर्म को भी उतना ही गंभीर माना जाएगा। खास कर बच्चों के खिलाफ बढ़ रही यौन हिंसा के संदर्भमें इस कानून का इस्तेमाल किया जा सकेगा। उधर, लोकसभा में पेश अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) मेंसंशोधन के मुताबिक इसकी धारा पांच की उपधारा एक का इस्तेमाल करते हुए अगर किसी आरोपी को पुलिसगिरफ्तार नहीं करती है तो पुलिस को लिखित तौर पर वह कारण दर्ज करना होगा, जिसकी वजह से आरोपी कोगिरफ्तार नहीं किया जा रहा है। गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इस संशोधन का फायदा गरीब औरअमीर आरोपियों के बीच होने वाले भेद-भाव को दूर करने में मिल सकेगा। अब तक ज्यादातर मामलों में अगरआरोपी गरीब हुआ तो पुलिस उसे झट गिरफ्तार कर लेती है, जबकि अमीर आरोपी के मामले में ऐसा कदम उठातेहुए बचती है, लेकिन नई व्यवस्था के बाद उसे न सिर्फ गिरफ्तारी की वजह बतानी होगी, बल्कि गिरफ्तार नहींकरने पर भी वजह पेश करनी होगी। ( (
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment